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Janmbhumi vs Shahi Eidgah: श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही ईदगाह मामले में आ सकता है हाईकोर्ट का फैसला

Sri krishna Janmbhumi vs Shahi Eidgah: काफी समय से श्री कृष्ण जन्मस्थान (Krishna Janmabhoomi Case)और शाही ईदगाह की विवादित जमीन को लेकर विवाद चल रहा है....इस मामले में आज फैसला आ सकता है...इस मामले में एक पक्ष श्रीकृष्ण विराजमान तो दूसरा शाही ईदगाह ट्रस्ट है.  

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Sri krishna Janmbhumi vs Shahi Eidgah
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Preeti Chauhan|Updated: May 01, 2023, 10:16 AM IST

कन्हैया लाल शर्मा/मथुरा: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court)  में सोमवार को मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद ( Shri Krishna Janmabhoomi dispute) मामले में आज फैसला आ सकता है. ये आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने दिया है. आज दोपहर 12 बजे के बाद हाईकोर्ट मामले में अपना फैसला सुना सकता है. 17 अप्रैल को मामले में शाही ईदगाह ट्रस्ट (Shahi Idgah Trust)  और श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से बहस पूरी हो गई थी. कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.  अयोध्या विवाद की तरह ही यहां भी झगड़े की जड़ जमीन का मालिकाना हक ही है. फिलहाल, यहां मंदिर और मस्जिद दोनों हीमौजूद है.

भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से मथुरा की सिविल जज की अदालत में सिविल वाद दायर कर 20 जुलाई 1973 के फैसले को रद्द करने और 13.37 एकड़ कटरा केशव देव की जमीन श्रीकृष्ण विराजमान के नाम घोषित किए जाने की मांग की गई है. वादी का कहना था कि जमीन को लेकर दो पक्षों के बीच हुए समझौते के आधार पर 1973 में दिया गया फैसला वादी पर लागू नहीं होगा क्योंकि वह इसमें पक्षकार नहीं था.

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 श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से अपील दाखिल 

सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की आपत्ति की सुनवाई करते हुए अदालत ने 30 सितंबर 2020 को दीवानी मुकदमा खारिज कर दिया जिसके खिलाफ श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से अपील दाखिल की गई. विपक्षी ने अपील की पोषणीयता पर आपत्ति की. जिला जज मथुरा की अदालत (Mathura Court) ने अर्जी मंजूर करते हुए अपील को पुनरीक्षण अर्जी में तब्दील कर दिया. पुनरीक्षण अर्जी पर पांच प्रश्न तय किए गए. 19 मई 2022 को जिला जज की अदालत ने वाद खारिज करने के सिविल जज के 30 सितंबर 2020 के आदेश को रद्द कर दिया और अधीनस्थ अदालत को दोनों पक्षों को सुनकर नियमानुसार आदेश करने का निर्देश दिया. हाईकोर्ट में दाखिल इन याचिकाओं में इसी आदेश की वैधानिकता को चुनौती दी गई है.

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