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KCR Khammam Rally : अखिलेश यादव तेलंगाना में केसीआर की रैली में शामिल होकर आज क्या संदेश देंगे, क्या पिता की राह पर बढ़ रहे हैं सपा प्रमुख

KCR Khammam Rally : समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के अलावा विपक्षशासित चार राज्यों के मुख्यमंत्री आज तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (BRS) की रैली में शामिल होने वाले हैं. 

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Khammam Rally KCR Akhilesh Yadav
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Amrish Kumar Trivedi|Updated: Jan 18, 2023, 09:19 AM IST

Akhilesh Yadav in Khammam Rally : तेलंगाना के खम्मम जिले में आज के. चंद्रशेखर राव बड़ी रैली कर तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) को एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल (BRS)में तब्दील करने के अपने इरादे को बुलंद तरीके से धरातल पर उतारने वाले हैं. लेकिन इस रैली में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत विपक्ष के कई बड़े नेताओं का आना नया सियासी संकेत है. अखिलेश यादव स्वयं 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश से आते हैं, जहां उनका सीधा मुकाबला बीजेपी (BJP) से पिछले कई चुनावों में रहा है. 

भारत जोड़ो यात्रा से किया था किनारा

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को इसी माह 3 जनवरी को उत्तर प्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने का न्योता कांग्रेस की ओर से दिया गया था. हालांकि अखिलेश यादव और सपा के सहयोगी दल रालोद के नेता जयंत चौधरी (Jayan Chaudhary) या बसपा सुप्रीमो मायावती इसमें शामिल नहीं हुए. संकेत साफ है कि अखिलेश यादव नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा से 2024 (Mission 2024) में मुकाबले के लिए कांग्रेस की अगुवाई वाले किसी अभियान में शामिल नहीं होना चाहते.

क्या तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश

चुनावी विश्लेषक इसे अखिलेश यादव की अपने पिता मुलायम सिंह यादव की तरह तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश मान रहे हैं. केंद्र में एचडी देवेगौड़ा, चंद्रशेखर या इंद्रकुमार गुजराल जैसे नेता प्रधानमंत्री बने और इसमें मुलायम सिंह यादव की अहम भूमिका रही थी. हालांकि वो खुद दावेदारी के बावजूद प्रधानमंत्री नहीं बन पाए. 

उत्तर प्रदेश में पिछले दो लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के आगे समाजवादी पार्टी के सारे मंसूबे धरे के धरे रह गए. वहीं विधानसभा चुनाव में भी योगी आदित्यनाथ के बुलडोजर मॉडल की लोकप्रियता को भुनाते हुए दोबारा मुख्यमंत्री पद पर पहुंचे. ऐसे में सपा की कोशिश हो सकती है कि वो राजनीतिक तौर पर दूसरे दलों का राजनीतिक समर्थन जुटाकर एक बड़ी चुनौती मिशन 2024 में पीएम मोदी के सामने पेश कर सके. इसे पार्टी का आम चुनाव के पहले मनोबल बढ़ाने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है.

चार बड़े मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव अपनी पार्टी को पहले ही भारतीय राष्ट्र समिति (BRS) का नाम देकर दिल्ली की राजनीति में दमखम दिखाने का संकेत दे चुके हैं. इस चुनावी रैली में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी पहुंचेंगे. चंद्रशेखर राव की कोशिश 2024 के लोकसभा चुनाव में न केवल तेलंगाना बल्कि दक्षिण भारतके कई अन्य राज्यों में पैर पसारने की है. यही मुहिम पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी एक साल पहले छेड़ चुकी हैं. पूर्वोत्तर के अलावा उत्तर प्रदेश औऱ बिहार जैसे राज्यों में भी पार्टी ने शत्रुघ्न सिन्हा जैसे कई नेताओं को पार्टी में शामिल कराया.

खम्मम में केसीआर का शक्ति प्रदर्शन
हैदराबाद से लगभग 200 किलोमीटर दूर खम्मम में ये रैली हो रही है. केसीआर की पार्टी रैली में पांच लाख से ज्यादा लोगों की भीड़ जुटाकर अपनी ताकत का अहसास कराएगी. चुनाव रैली में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, केरल के चीफ मिनिस्टर पी विजयन, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और भाकपा नेता डी. राजा भी शामिल हो रहे हैं.

केसीआर से राजनीतिक हितों का टकराव नहीं
चंद्रशेखर राव की ओर से लोकसभा चुनाव के पहले तीसरा मोर्चा बनाने के संकेत दिए जा चुके हैं. माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी जैसे बड़े क्षेत्रीय दल ने फिलहाल केसीआर से किसी राजनीतिक हितों का टकराव न देखते हुए इस शक्ति प्रदर्शन में शामिल होते दिख रहे हैं. तेलंगाना में बीजेपी जिस तरह कांग्रेस को पछाड़ कर नंबर दो पार्टी बन चुकी है. वहीं यूपी में सपा को फिलहाल योगी-मोदी के डबल इंजन मॉडल का कोई तोड़ नहीं नजर आ रहा है. 

यदाद्री मंदिर का दर्शन
खम्मम से पहले विपक्ष के बड़े नेता चंद्रशेखर राव की महत्वाकांक्षी परियोजना यदाद्रि मंदिर का दर्शन कराने ले जाएंगे. यदाद्रि में लक्ष्मी नरिसम्हा स्वामी मंदिर की भव्यता देखने वाली होगी. लगभग 1200 करोड़ रुपये चंद्रशेखर राव ने यदाद्री मंदिर का पुनरोद्धार कराया है. इसे बीजेपी के हिन्दुत्व कार्ड की काट माना जा रहा है.

केसीआर और बीजेपी में तनाव
खम्मम में ये नेता तेलंगाना सरकार के नेत्र जांच शिविर के महाअभियान कांति वेलुगु के उद्घाटन समारोह में भी शिरकत करेंगे. गौरतलब है कि 2014 में मोदी सरकार आने के बाद टीआरएस और बीजेपी में केंद्र सरकार के स्तर काफी सहयोग दिखा था, लेकिन पिछले 1-2 सालों में दोनों दलों में साफ तौर पर तनाव दिखा है. यहां तक कि केसीआर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तेलंगाना दौरे पर उनकी अगवानी करने भी नहीं गए. 

 

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