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up politics: ओम प्रकाश राजभर को पंचायती राज, योगी सरकार के 5 नए मंत्रियों को विभागों का बंटवारा

up news: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पांच नवनियुक्त मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा कर दिया है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर को पंचायती राज विभाग दिया गया है. पढ़ें पूरी लिस्ट... 

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up ministers portfolio in Yogi Adityanath govt
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Amrish Kumar Trivedi|Updated: Mar 12, 2024, 11:02 PM IST

up ministers portfolio: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मंत्रियों के बीच विभागों की जिम्मेदारी तय कर दी है. सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर को पंचायती राज विभाग दिया गया है. पंचायती राज एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय दिया गया है. बीजेपी नेता दारा सिंह चौहान को कारागार विभाग दिया गया है. गाजियाबाद से बीजेपी विधायक सुनील शर्मा को आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग, अनिल कुमार को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और धर्मवीर प्रजापति को नागरिक सुरक्षा एवं होमगार्ड विभाग दिया गया है

कारागार मंत्री धर्मवीर प्रजापति का विभाग बदलकर दारा सिंह को दिया गया है.धर्मपाल सिंह का अल्पसंख्यक कल्याण विभाग अब ओपी राजभर को सौंपा गया है. मुस्लिम हज एवं वक़्फ़ विभाग भी धर्मपाल सिंह के पास था. धर्मवीर प्रजापति को नागरिक सुरक्षा विभाग मिला है, वो भी धर्मपाल सिंह के पास पहले था. कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह के तीन विभाग कम किए गए हैं. कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह के पास अभी तक 6 विभागों का चार्ज था. कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय से इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी वापस लिया गया है. इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी का प्रभार अनिल कुमार को दिया गया है. 

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योगी आदित्यनाथ सरकार में ये बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार था. ओपी राजभर सात महीने पहले बीजेपी में शामिल हुए थे और मंत्री बनाने की मांग कर रहे थे. अनिल कुमार रालोद के विधायक हैं. दारा सिंह चौहान घोसी विधानसभा सीट से उपचुनाव हार गए थे. लेकिन ओबीसी नेता को मंत्री बनाया गया है.  गाजियाबाद जिले से विधायक सुनील शर्मा को भी बड़ा ओहदा दिया गया है. 

बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, निषाद पार्टी, अपना दल सोनेलाल पटेल और राष्ट्रीय लोकदल से गठबंधन किया है. गठबंधन के तहत इन दलों को छह सीटें दी गई हैं. लोकसभा चुनाव के पहले ये अहम मंत्रिमंडल विस्तार करके सहयोगी दलों को संतुष्ट करने की कोशिश की गई है. विधानपरिषद चुनाव में भी भाजपा ने सहयोगी दलों का ख्याल रखा है. 

 

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