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सपा के राज्यसभा उम्मीदवारों ने किया नामांकन, जानिए कौन हैं आलोक रंजन, जया बच्चन और रामजीलाल सुमन

Rajya Sabha Election 2024:   सपा के राज्यसभा उम्मीदवारों ने 13 फरवरी यानी आज नामांकन कर दिया है. सपा ने जया बच्चन, मुख्य सचिव रह चुके आलोक रंजन और सपा महासचिव रामजीलाल सुमन को राज्यसभा उम्मीदवार बनया है. 

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सपा के राज्यसभा उम्मीदवारों ने किया नामांकन, जानिए कौन हैं आलोक रंजन, जया बच्चन और रामजीलाल सुमन
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Zee Media Bureau|Updated: Feb 13, 2024, 02:29 PM IST

Rajya Sabha Election 2024: यूपी कोटे की खाली हो रहीं 10 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होना है.  समाजवादी पार्टी उम्मीदवारों ने 13 फरवरी यानी आज नामांकन कर दिया है. सपा ने जया बच्चन, मुख्य सचिव रह चुके आलोक रंजन और सपा महासचिव रामजीलाल सुमन को राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है. 

जय बच्चन पांचवीं बार पहुंचेंगी राज्यसभा
2 अप्रैल 2024 को जिन 10 सांसदों का कार्यकाल खत्म हो रहा है, उनमें जया बच्चन भी शामिल हैं. अभिनेत्री जया बच्चन को सपा पांचवीं बार राज्यसभा भेज सकती है. इससे पहले वह 2004 में पहली बार सांसद चुनी गई थीं. इसके बाद 2006 में दोबारा सांसद बनी. 2012 में तीसरी बार सपा से वह राज्यसभा पहुंची. इसके बाद 2018 में फिर यूपी कोटे से उच्च सदन पहुंची थीं. जया बच्चन ने कार्यकाल के दौरान राज्यसभा में कई बार बेबाकी से मुद्दों पर राय रखी है. 

रेस में पू्र्व चीफ सेक्रेट्री आलोक रंजन का भी नाम
उन्नाव में जन्मे आलोक रंजन 1978 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. सपा सरकार में जून 2014 में यूपी के मुख्य सचिव बने थे. दो साल साल बाद 2016 में वह सेवानिवृत्त हो गए. रिटायर होने के बाद वह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का मुख्य सलाहकार नियुक्ति किया गया था.  इसके अलावा उनको उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPSIDC) के चेयरमैन की भी जिम्मेदारी दी गई थी. 2017 में सपा की हार के बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दिया था. उनकी गिनती सपा खेमे के भरोसेमंद अधिकारियों में होती है. 

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कौन हैं रामजीलाल सुमन
रामजीलाल सुमन की गिनती समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेताओं में होती है. वह फिरोजाबाद सीट से 1999 से 2009 तक दो बार लोकसभा सांसद रहे. दलित नेताओं में वह बड़े चेहरे की पहचान रखते हैं. हाथरस जिले के रहने वाले रामजीलाल सुमन महज 26 साल की उम्र में पहली बार 1977 में जनता पार्टीके टिकट पर लोकसभा पहुंचे थे. इसके बाद 1989 में फिर सांसद बने.  1991 में वह केंद्र में वह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सरकार में श्रम कल्याण महिला कल्याण एवं बाल विकास मंत्रालय के राज्य मंत्री भी रहे. इसके बाद 1993 में उन्होंने मुलायम सिंह यादव का हाथ थाम लिया. मुलायम सिंह यादव के बाद अब वह अखिलेश यादव के साथ हैं. 

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