Milkipur Bypoll 2024: लोकसभा के बाद एक बार सपा और बीजेपी के बीच एक बार फिर अयोध्या के चुनावी मैदान में आमने-सामने होंगे. यहां की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. यहां से सपा विधायक अवधेश प्रसाद फैजाबाद सीट से सांसद बने हैं, उन्होंने बीजेपी के दो बार के सांसद लल्लू सिंह को शिकस्त दी. सपा के सामने जहां सीट को बरकरार रखने की चुनौती होगी. वहीं बीजेपी अयोध्या की हार का बदला लेने की कोशिश करेगी.
नब्ज टटोलने बीजेपी ने उतारे योद्धा
उपचुनाव के लिए बीजेपी के योद्धा मैदान में उतार दिए हैं. यहां सूर्य प्रताप शाही और मयंकेश्वर शरण सिंह की ड्यूटी लगाई गई है जबकि एमएलसी अवनीश सिंह को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है. यह सभी करीब एक सप्ताह रहकर पूरी विधानसभा का सर्वे करेंगे. फिर इसके बाद वह अपनी रिपोर्ट भाजपा प्रदेश मुख्यालय को सौपेंगे. इस रिपोर्ट के आधार पर ही पार्टी चुनावी तैयारी की रणनीति तैयार करेगी.क्षेत्र के प्रमुख लोगों और जातीय नेताओं के साथ बैठकर वहां की सोशल इंजीनियरिंग भी समझेंगे.सूत्रों का कहना है कि बीजेपी के यह मंत्री और पदाधिकारी संभावित दावेदारों की भी रिपोर्ट तैयार करेंगे.
2022 के परिणाम
2022 विधानसभा चुनाव में यहां सपा के अवधेश वर्मा ने बीजेपी के बाबा गोरखनाथ को 12 हजार 923 वोटों से चुनाव हराया था. 2024 लोकसभा चुनाव में भी इस सीट से लल्लू सिंह 7733 वोटों से हारे थे. बीजेपी के गोरखनाथ 2017 में पहली बार इस सीट से विधायक बने थे. उपचुनाव को लेकर सपा और बीजेपी मजबूत प्रत्याशियों की तलाश में जुटी हैं.
कौन-कौन दावेदार
समाजवादी पार्टी यहां से एक बार फिर पीडीए कार्ड खेल सकती है. सपा से टिकट की रेस में अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद का नाम शामिल है. वहीं, संभावित प्रत्याशियों में बीजेपी से बाबा गोरखनाथ, पूर्व विधायक रामू प्रियदर्शी समेत लंबी लाइन है. इनमें पासी समाज से आने वाले कई नेता शामिल हैं. उम्मीदवार के चयन में पार्टी को तगड़ी माथापच्ची करनी होगा. फिलहाल संगठन जीत-हार की संभावनाओं के गुणा-गणित को तय करने में जुट गया है.
तीसरी बार होगा उपचुनाव
मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर तीसरी बार उपचुनाव होगा. 1998 में यहां से सपा के मित्रसेन यादव विधायक थे, जो चुनाव जीतकर सांसद बने थे, 2004 में सपा विधायक आनंदसेन ने विधायकी से इस्तीफा देकर बसपा का दामन थाम लिया था. उपचुनाव में सपा के रामचंद्र यादव विधायक बने. यहां से अवधेश प्रसाद दूसरे ऐसे नेता होंगे जो मिल्कीपुर से लोकसभा जाएंगे.
सीट का इतिहास
मिल्कीपुर विधानसभा सीट साल 1967 में आस्तित्व में आई. 2008 के परिसीमन के बाद ही एससी के लिए रिजर्व है, इससे पहले यह सामान्य सीट हुआ करती थी. यहां कांग्रेस, जनसंघ और सीपीआई, बीजेपी, बसपा और सपा जीतने में कामयाब रहीं. इस सीट पर सबसे ज्यादा सपा और सीपीआई 4-4 बार बाजी मारने में सफल रहे. कांग्रेस तीन बार, बीजेपी दो बार जबकि एक-एक बार जनसंघ और बसपा ने परचम लहराया.
जातीय समीकरण
यहां कुल वोटर करीब 3 लाख 40 हजार हैं. जिसमें 18 लाख 24 हजार पुरुष जबकि 15 लाख 83 हजार महिला मतदाता हैं. अनुमानित आंकड़े देखें तो यहां 55 हजार पासी, 60 हजार ब्राह्मण, 55 हजार यादव, 30 हजार मुस्लिम, 25 हजार दलित, 25 हजार ठाकुर, कोरी 20 हजार, चौरसिया 18 हजार, वैश्य 12 हजार, पाल सात हजार, मौर्य पांच हजार, अन्य 28 हजार हैं.