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Uniform Civil Code: मलेशिया से मिस्र तक बड़े मुस्लिम में लागू समान नागरिक संहिता, भारत में क्यों विरोध

Uniform Civil Code in Uttarakhand: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता पर बनी समिति 2 फरवरी को ड्रॉफ्ट रिपोर्ट पेश करेगी. इसके बाद उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र में इसे पेश किया जा सकता है. 

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Uniform Civil Code  in Uttarakhand
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Amrish Kumar Trivedi|Updated: Jan 31, 2024, 02:54 PM IST

Explainer Uniform Civil Code in Uttarakhand: समान नागरिक संहिता को संविधान के नीति निर्देशक तत्वों में भी शामिल किया गया है. केंद्र ने समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग से इस पर विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी थी.22वें विधि आयोग ने 14 जून 2023 को धार्मिक और सामाजिक संगठनों समेत विभिन्‍न पक्षों से 30 दिन में राय मांगी थी और रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंप दी. विधि आयोग ने 2018 में पारिवारिक कानून में सुधार नाम से सुझाव  प्रपत्र जारी किया था.

यूनिफॉर्म सिविल कोड क्‍या?
समान नागरिक संहिता का मतलब हर धर्म, जाति, संप्रदाय और वर्ग के लिए विवाह-तलाक, विरासत और गोद लेने के एक जैसे नियम कानून बनाना है. संविधान के अनुच्छेद 44 में नीति निर्देशक तत्वों में इसे शामिल किया गया है. देश में सभी नागरिकों के लिए एक समान आपराधिक कानून तो है, लेकिन समान नागरिक कानून नहीं 75 साल बाद भी नहीं बन पाया. सुप्रीम कोर्ट अपने कई फैसलों में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की वकालत कर चुका है.

करीब 200 साल पुराना इतिहास
समान नागरिक कानून यानी यूसीसी का उल्लेख 1835 में ब्रिटिश रिपोर्ट में भी मिलता है. हालांकि रिपोर्ट में हिंदू और मुसलमानों के धार्मिक कानूनों में बदलाव का उल्लेख नहीं था.1941 में हिंदू विवाह एवं उत्तराधिकार से जुड़े कानून पर विचार के लिए बीएन राव समिति बनाई गई. राव समिति की सिफारिश पर 1956 में हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्म के उत्तराधिकार मामलों को सुलझाया गया. हिंदू उत्तराधिकार कानून लाया गया. वहीं मुस्लिम, पारसी और ईसाई धर्म के कानून अलग रखे गए. 

संविधान निर्माताओं ने भी किया समर्थन
भारतीय संविधान की ड्रॉफ्ट कमेटी के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर ने यूसीसी का समर्थन किया था. उन्होंने कहा था कि मौजूदा सिविल कानून विवाह, तलाक, उत्तराधिकार जैसे मामलों के समाधान में सक्षम नहीं हैं. 

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