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Karwa Chauth 2023: इस गांव में करवा चौथ व्रत रखने पर उजड़ जाता है सुहाग! एक महिला ने ही सुहागिनों को दिया था श्राप

Mathura Karwa Chauth 2023: कान्हा की नगरी मथुरा के सुरीर कस्बे में सैकड़ों वर्षों से चली आ रही रूढ़िवादी परंपरा आज भी कायम है. इसे सती का श्राप कहें या बिलखती पत्नी की बद्दुआ, लेकिन यहां सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सलामती के लिए करवा चौथ का व्रत नहीं रखती हैं. आइये जानते हैं पूरी कहानी

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Mathura Karwa Chauth 2023
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Pranjali Mishra|Updated: Nov 01, 2023, 09:14 AM IST

Karwa Chauth 2023: आज करवा चौथ का व्रत है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है. करवा चौथ पर सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन उत्तर प्रदेश में एक ऐसी जगह भी है जहां ठीक इसका उल्टा होता है. जहां देश भर में करवा चौथ का पर्व आते ही रौनक हो जाती है. वहीं, इस जगह पर सन्नाटा पसर जाता है. यहां महिलाएं अपने पति की सलामति के लिए करवा चौथ का व्रत नहीं रखती हैं. जी हां, यह जगह भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा जिले में है. इस कस्बे का नाम सुरीर है. इस गांव की महिलाएं सुहाग के लिए व्रत रखने में डरती हैं कि कहीं उनके पति के साथ कोई अनहोनी ना हो जाए. 

व्रत ना रखने के पीछे क्या है वजह? 
सुरीर में करवा चौथ न मनाने के पीछे एक बहुत बड़ी वजह मानी जाती है. स्थानीय लोगों के मुताबिक, करीब डेढ़ सौ साल पहले गांव रामनगला (नौहझील) का ब्राह्मण युवक अपनी पत्‍‌नी को ससुराल से विदा कराने के बाद सुरीर के रास्ते भैंसा-बुग्गी से अपने गांव की ओर लौट रहा था. तभी सुरीर में क्षत्रिय समाज के लोगों ने उन्हें रोक लिया. बुग्गी में लगा भैंसा अपना बताते हुए विवाद खड़ा कर दिया. इस विवाद में पत्नी के सामने ही युवक की हत्या कर दी गई. उस दिन करवा चौथ था. पति की हत्या से गुस्साई नव विवाहिता ने मोहल्ले के लोगों को श्राप दिया. जिसके मुताबिक, अगर यहां किसी सुहागिन ने करवा चौथ का व्रत रखा तो उसकी तरह ही विधवा हो जाएगी. इसके बाद वह सती हो गई. 

शृंगार तक नहीं करती हैं सुहागिनें
स्थानीय लोगों के अनुसार, उस घटना के बाद से मोहल्ले में करवा चौथ वाले दिन अनहोनी शुरू होने लगी. कई नव विवाहिताएं विधवा हो गईं. इसे देखकर बुजुर्गों ने इसे सती का श्राप मान लिया. पूर्वजों ने इस गलती के लिए क्षमा भी मांगी, लेकिन कोई असर नहीं हुआ. यही वजह है कि तब से ही यहां की कोई महिला करवा चौथ मनाना तो दूर, इस दिन पूरा शृंगार भी नहीं करती है. खासतौर पर सुरीर में क्षत्रिय समाज की महिलाएं व्रत नहीं रखती. 

यहां करीब 200 से ढाई सौ परिवार क्षत्रिय समाज के हैं. व्रत ना रखने की परंपरा काफी समय से चली आ रही है. कहा जाता है इस समाज की कई महिलाएं करवा चौथ मनाने का श्राप झेल चुकी हैं. व्रत रखने पर उनके सुहाग उजड़ गए. उस घटना के बाद से ही क्षत्रिय महिलाओं में आज तक भय है. 

कोई नहीं तोड़ता परंपरा 
एक स्थानीय महिला के अनुसार वह भी करवा चौथ के दिन व्रत नहीं रखतीं, क्योंकि वह अपने परिवार की सलामती चाहती हैं. उन्होंने बताया कि करवा चौथ और अहोई अष्टमी न मनाने की इस परंपरा को तोड़ने की हिम्मत किसी में नहीं है. यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है. 

सुरीर और रामनगला में संबंध खत्म
रामनगला में रहने वाली एक अन्य महिला के मुताबिक, सती वाली घटना के बाद से लेकर आज तक राम नगला के लोग सुरीर गांव से रोटी-बेटी के संबंध नहीं रखते. आज भी राम नगला की महिलाएं सुरीर में कहीं खाना तो दूर, पानी तक नहीं पीती हैं. 

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