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Hanuman Janmotsav 2023: हनुमान जन्मोत्सव को जयंती कहने की ना करें भूल, अंतर जानकर तुरंत सुधारें अपनी गलती

Hanuman Janmotsav 2023: देश भर में हनुमानभक्तों ने बजरंगबली के अवतरण दिवस को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं. 6 अप्रैल को हनुमान जन्‍मोत्‍सव मनाया जाएगा. लेकिन कई लोग इसे हनुमान जयंती कहने की भूल कर रहे हैं. आइये जानते हैं जयंती और जन्‍मोत्‍सव में अंतर

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Hanuman Jayanti and Janmotsav 2023
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RAVI KANT MISHRA|Updated: Apr 06, 2023, 11:56 AM IST

Hanuman Janmotasav 2023: श्रीराम भक्त हनुमान का जन्मोत्सव पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. हनुमानजी केसरी तथा माता अंजना के पुत्र हैं. उन्हें महावीर, बजरंगबली, मारुती, पवनपुत्र, अंजनीपुत्र तथा केसरीनन्दन के नाम से भी जाना जाता है. पवनपुत्र हनुमान को भगवान शिव का 11वां रूद्र अवतार माना जाता है. हिंदू पंचाग के अनुसार, पवनपुत्र हनुमान का जन्‍मोत्‍सव हर साल चैत्र पूर्णिमा को मनाया जाता है. इसके अलावा कार्तिक माह के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्दशी को भी हनुमान जन्‍मोत्‍सव मनाया जाता है.

इस बार चैत्र पूर्णिमा 6 अप्रैल 2023, गुरुवार को मनाई जाएगी. इस अवसर पर भक्त धूमधाम से बजरंगबली का जन्‍मदिन मनाएंगे. ज्यादातर लोग इस दिन को हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti 2023) कह रहे हैं, जबकि यह गलत है. हनुमान जी के अवतरण दिवस को जयंती नहीं बल्कि जन्‍मोत्‍सव (Hanuman Janmotasav 2023 Date) कहा जाता है. अगर आप भी ऐसी गलती कर रहे हैं तो इसे तुरंत सुधार लें. इस आर्टिकल में हम आपको इसके पीछे की वजह बताने जा रहे हैं. 

जयंती और जन्मोत्सव में अंतर (Difference Between Hanuman Janmotasav and Hanuman Jayanti)
धर्म-शास्त्रों के जानकारों के मुताबिक, हनुमान जी के जन्मदिन को जयंती नहीं बल्कि जन्मोत्सव कहा जाना उचित होगा. दरअसल, जयंती और जन्‍मोत्‍सव शब्‍द जन्‍मदिवस मनाने के दिन के लिए ही इस्तेमाल किए जाते हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल अलग-अलग संदर्भ में किया जाता है. जयंती का प्रयोग ऐसे व्यक्ति के लिए किया जाता है, जिसने इस संसार में जन्म लिया, जीवन जिया और एक दिन उसकी मृत्यु हो जाए. उस व्यक्ति के मृत्यु के बाद जब किसी विशेष तिथि में उसका जन्मदिन पड़ता है, तो उसे जयंती कहते हैं. उदाहरण के लिए महात्मा गांधी जयंती, रविन्द्र नाथ टैगोर जयंती आदि. 

चिरंजीवी हैं श्रीराम भक्त हनुमान 
हिंदू शास्त्रों के मुताबिक, भगवान और देवी-देवता अमर माने गए हैं. ऐसे में उनके जन्मदिवस को जन्मोत्सव या प्राकट्योत्सव कहा जाता है.शास्त्रों में श्रीराम भक्त हनुमानजी को चिरंजीवी माना जाता है. मान्यता के मुताबिक जब तक इस सृष्टि का अस्तित्व रहेगा, तब तक बजरंगबली इस धरती पर जीवित और युवा रहेंगे. यही वजह है कि बजरंगबली को कलयुग संसार का जीवित या जागृत देवता माना गया है.

वहीं, हिंदू धर्म में प्रचलित पौराणिक मान्यता के अनुसार प्रभु श्रीराम ने भगवान हनुमान को अमर होने का वरदान दिया था. तब से ही हनुमान जी ने धरती के गंधमादन पर्वत पर अपना निवास बनाया. कलयुग में इसी स्थान पर धर्म के रक्षक के रूप में निवास करते हैं. इसलिए हनुमान जी के जन्मदिन की तिथि को जयंती नहीं बल्कि जन्मोत्सव कहना चाहिए. 

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