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LK Advani News: लालकृष्ण आडवाणी जब हवाला कांड में नाम आया तो इस्तीफा देने में देर नहीं लगाई

LK Advani News: जब 16 जनवरी  1996 को आडवाणी के नाम चार्जशीट शीट फाइल हुई तो इसमें विद्याचरण शुक्ल का भी नाम था. इसके बाद आडवाणी ने लोकसभा से इस्तीफा देने का फैसला कर लिया.   

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Zee News Desk|Updated: Feb 03, 2024, 05:46 PM IST

LK Advani News: लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न मिलने की घोषणा के बाद से देश भर के नेता उन्हें बधाई दे रहे हैं. पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी साझा करते हुए शुभकामनाएं दी. इसी बीच लाल कृष्ण आडवाणी के राजनैतिक करियर के कई अनछुए किस्से सामने आ रहे है. पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के बाद आडवाणी ऐसे भाजपा नेता हैं जिन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा रहा है. एलके आडवाणी हमेशा अपने राजनैतिक सिद्धातों की वजह से चर्चा में रहे है. 

राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका
राम मंदिर आंदोलन में उनकी अहम भूमिका थी. उन्होंने राम मंदिर के लिए अयोध्या में कई रैलियां और आंदोलन किए. लालकृष्ण आडवाणी को कई बार जेल भी जाना पड़ा. आडवाणी पर आरोप लगने 1993 से ही शुरू हो गए थे. उस समय नरसिम्हा सरकार में रहे सुब्रमण्यन स्वामी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा था कि उनके पास इस बात के सबूत हैं कि लालकृष्ण आडवाणी ने हवाला कारोबारी एसके जैन से दो करोड़ रुपये लिए है. 

कुल 92 नाम थे शामिल
यह खबर पानी की तरह अखबारों में फैल गई. इस मामले में एक पत्रकार दिनकर शुक्ल ने सीबीआई चीफ केविजय रामाराव से एक इंटरव्यू में सवाल पूंछ लिया की जैन की डायरी मामले में कार्रवाई होगी. बता दें कि जब एस के जैन की डायरी का मामला बाहर आया तो इसमे लगभग 55 नेता, 15 अधिकारी, को मिलाकर कुल 92 नाम थे. 1995 में सीबीआई ने एसके जैन को गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद एसके जैन ने कबूल किया कि 1991 में मार्च से मई के बीच पूर्व पीएम राजीव गांधी को भी चार करोड़ रुपये दिए गए.

इस्तीफा देते हुए कर दिया ऐलान 
जब 16 जनवरी  1996 को आडवाणी के नाम चार्जशीट शीट फाइल हुई तो इसमें विद्याचरण शुक्ल का भी नाम था. इसके बाद आडवाणी ने लोकसभा से इस्तीफा देने का फैसला कर लिया. उन्होंने इस्तीफा देते हुए ऐलान कर दिया कि जब तक भ्रष्टाचार के आरोपों से उन्हें मुक्ति नहीं मिल जाएगी तब तक सदन में कदम नहीं रखेंगे. इसी के चलते उन्होंने 1996 का चुनाव नहीं लड़ा.

8 अप्रैल 1997 
वो दिन 8 अप्रैल 1997 का था, जब हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया और एलके आडवाणी और विद्या चरण शुक्ल को बाइज्जत बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि डायरी को सबूत नहीं माना जा सकता है. यह दस्तावेजों का एक पुलिंदा भर है जिसमें जब जो चाहो जोड़ दो और जो चाहो घटा दो. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा लेकिन शीर्ष् न्यायालय ने भी हाई कोर्ट का फैसला बरकरार रखा. इसके बाद आडवाणी ने 1998 में लोकसभा का चुनाव गांधीनगर से लड़ा. कांग्रेस के पीके दत्ता के सामने उन्होंने बड़ी जीत दर्ज की.
 
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