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बीमार होने पर टेंशन के बजाय खुश रहने वाले काम करिए, रिसर्च कहती है जल्दी ठीक होंगे

Health Tips : एक स्टडी में दावा किया गया है कि जब कोई इंसान लगातार ऐसा सोचता रहे कि मुझे दर्द हो रहा है, मुझे कोई रोग है, तो कुछ समय बाद वाकई उसे शरीर में कहीं न कहीं दर्द जैसा महसूस होने लगता है. वहीं यदि वह अच्छे विचार रखता है तो बीमार होने पर जल्द ठीक हो जाता है. इसके पीछे मनोवैज्ञानिक कारण जिम्मेदार होते हैं.

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बीमार होने पर टेंशन के बजाय खुश रहने वाले काम करिए, रिसर्च कहती है जल्दी ठीक होंगे
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Zee Media Bureau|Updated: Dec 24, 2023, 01:34 PM IST

Health Tips : अक्सर आपने देखा होगा कि जरा सी बीमारी लगी नहीं कि हम टेंशन में आ जाते हैं. चिंता में कई बार खुद की और परिजनों की दिक्कत और बढ़ जाती है. एक पुरानी कहावत भी है चिंता चिता के समान होती है. यानी चिंता लेने से कोई काम बनता नहीं है बल्कि और बिगड़ जाता है. हेल्थ को लेकर तो यह बात और भी अधिक सटीक है.

आपने देखा होगा कि घर में कोई सदस्य बीमार होता है, तो हमारे परिजन आत्मविश्वास पैदा करने के लिए कहते रहते हैं कि जल्द ठीक हो जाओगे. ऐसा सिर्फ मरीज का दिल रखने के लिए नहीं कहा जाता, बल्कि ये सकारात्मक विचार पीड़ित व्यक्ति के मन पर भी गहरा असर डालती हैं. इससे मरीज की सेहत में जल्द सुधार देखने को मिलती है.  यही वजह है कि कहा जाता है कि अच्छा सोचोगे, तो अच्छा ही होगा और बुरा सोचोगे तो बुरी चीजें ही होंगी.

रिसर्च में किया गया दावा
इस बात को सालों पहले साइंस द्वारा भी प्रमाणित किया जा चुका है. अमेरिकी साइंटिस्ट वॉल्टर पी कैनेडी ने 1961 में  'नोसबो इफेक्ट' शब्द का इस्तेमाल किया था. इस शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द नोसेरा से हुई थी. लैटिन भाषा में इसका मतलब होता है नुकसान पहुंचाना. ट्रीटमेंट के दौरान बीमार व्यक्ति की मनोदशा पर उसकी सकारात्मक सोच का क्या असर होता है? किसी मरीज के जीवन में अच्छे विचारों का कितना असर होता है यह जानने के लिए प्लेसीबो इफेक्ट नामक प्रयोग किया गया. रिसर्च में पाया गया कि मामूली सिरदर्द होने पर वैज्ञानिकों ने लोगों को दर्द निवारक रहित टॉफी जैसी साधारण गोली दी, जिसे लेने के बाद लोगों ने कहा कि उन्हें आराम महसूस हो रहा है, बल्कि असल में उन्हें कोई दवा दी ही नहीं गई थी.

वैज्ञानिकों ने बताई वजह
सेहत को लेकर जागरूक रहना अच्छी बात है, लेकिन जो लोग कुछ ज्यादा ही करते रहते हैं उनमें भी नेसोबो इफेक्ट के लक्षण देखने को मिलते हैं. स्टडी में के नतीजे में सामने आया कि जब कोई इंसान लगातार ऐसा सोचता रहे कि मुझे दर्द हो रहा है, मुझे कोई रोग है, तो कुछ समय बाद वाकई उसे शरीर में कहीं न कहीं दर्द जैसा महसूस होने लगता है, जबकि फिजिकली वो फिट होता है. इसके पीछे मनोवैज्ञानिक कारण जिम्मेदार होते हैं.

यह उपाय अपनाएं
1. नए विचार लेकर आएं. जब भी आपके मन में सेहत के प्रति कोई नकारात्मक ख्याल आए तो उससे अपना ध्यान भटकाने की कोशिश करें.

2. सेहत से जुड़ी समस्या के समाधान के लिए मोबाइल, स्मार्ट वॉच और हेल्थ एप का का नहीं डॉक्टरी परामर्श की मदद लें.

3. नकारात्मक बातें और लोगों से दूर रहें. अच्छी किताबें पढ़ें और अपनी दिलचस्पी को कायम रखें.

4. सूर्य नमस्कार, गायत्री मंत्र, योगासन करें.

डिस्क्लेमर: यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. zeeupuk इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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