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Kanwar Yatra 2023 Rules: कांवड़ यात्रा पर जाने से पहले जरूर जान लें इससे जुड़े नियम, परेशान होने से बचें

Kanwar Yatra 2023: सावन के महीने में उत्तर भारत के लोगों में कावंड़ यात्रा का बेहद उत्साह होता है. सरकार भी इसके लिए पूरी तैयारियां कर रही हैं. तो जान लें कि इस साल कांवड़ियों के लिए क्या है ये नया नियम,    

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Sandeep Bhardwaj|Updated: Jun 17, 2023, 10:01 PM IST

Kanwar Yatra 2023 Rules: कांवड़ यात्रा शुरू होने में अब कुछ ही समय शेष है. शिव भक्त अपने आराध्य देव पर गंगाजल चढ़ाने के लिए पूरे जोश और उत्साह के साथ कांवड़ यात्रा करते हैं. उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश कि सरकारें अपने अपने क्षेत्र में कांवड़ यात्रा का संचालन देखती हैं. कांवड़ियों के लिए कुछ दिशा निर्देश तय किये जाते हैं. कांवड़ यात्रा शुरू करने से पहले इन नियमों को जरूर पढ़ लें. 

सरकार की तैयारियां
इस बार लगभग 4  करोड़ कांवड़ियों की कांवड़ यात्रा का अनुमान है, ऐसे में जाहिर है कि इस दौरान इस मार्ग पर और पूरे हरिद्वार ऋषिकेश में बहुत भीड़ रहेगी. सरकारें अपनी तरफ से इस भीड़ को सँभालने, वाहनों की पार्किंग, गुमशुदा मोबाइल और अन्य सामान, बच्चों की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर लगातार बैठकें कर रही हैं.  कांवड़ क्षेत्र को 12 सुपर जोन, 32 जोन और 130 सेक्टर में बांटा गया है. कांवड़ियों की सुरक्षा व्यवस्था के लिए हरिद्वार और उसके आसपास 5,000 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे.

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कांवड़ियों के लिए हरिद्वार पुलिस द्वारा एक क्यूआर कोड भी जारी किया है जिसमें वाहन पार्किंग स्थल, रस्ते का डाइवर्जन और खोये और पाए  मोबाइल फोन से संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध होगी. इसके अलावा 333 सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे ताकि भीड़ पर ठीक ढंग से नजर रखी जा सके और शरारती तत्वों को माहौल न बिगाड़ने दिया जाए. 

नया नियम याद रखें. 
करोड़ों यात्रियों के हरिद्वार पहुँचने के अनुमान के बाद सरकार और पुलिस प्रशासन ने कमर कस ली है. इस बार यात्रियों को अपना पहचान पत्र साथ रखना होगा और जरुरत पड़ने पर यह दिखाना होगा. बहुत से शिव भक्त शिव को प्रसन्न करने के लिए खूब बड़ी कांवड़ बनाते हैं और इसको सजाते हैं   लेकिन इस साल ये नियन बना दिया गया है कि कांवड़ 12  फीट से ऊंची नहीं होनी चाहिए. अधिकतम ऊंचाई केवल 12  फीट तय कर दी गयी है.

उत्तराखंड में रेल पटरियों के 100 प्रतिशत विद्युतीकरण के मद्देनजर यह फैसला लिया गया. रेल पटरियों के पूरी तरह से विद्युतीकृत हो जाने के मद्देनजर ऊंची कांवड़ लाना जोखिम भरा हो सकता है. और करेन्ट लगने से जान तक जा सकती है.

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