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Do You Know: गणेश जी के विवाह में क्यों आ रही थीं रुकावटें? आखिर किस से और कैसे हुआ विवाह

Do You Know: गणेश जी के माता- पिता कौन थे और उनकी कितनी पत्नियां थीं ये सब लोग जानते हैं. क्या आप लोग जानते हैं कि गणेश जी का विवाह काफी रुकावटों के बाद हुआ था. इस प्रकार की जानकारी के लिए आगे पढ़ें. 

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Sandeep Bhardwaj|Updated: Sep 19, 2023, 06:40 PM IST

Do You Know: गणों के देवता गणेश जी को विवाह के लिए काफी प्रतीक्षा करनी पड़ी. बाद में भगवान ब्रह्मा की कृपा से उनका विवाह हुआ. जानें क्या था इसका कारण 

सबसे पहले जानें गणपति के सूंड की कथा 
भगवान भोलेनाथ और देवी पार्वती के पुत्र गणेश जी की पूजा सभी भगवानों से पहले की जाती है. प्रत्येक शुभ कार्य से पहले गणेश पूजन करना अनिवार्य होता है. गणेश जी गणों के देवता है और इनका वाहन एक मूषक यानी चूहा है. ज्योतिषी शास्त्र के अनुसार गणेश जी केतु के देवता हैं. माता पार्वती ने जब अपने पुत्र गणेश के शरीर को बनाया तो उन्हें खूबसूरत बालक बनाया. उनका मुख भी अन्य देवों की तरह सुन्दर था. एक बार माता स्नान करने गई और गणेश जी को पहरेदारी पर रखते हुआ कहा कि किसी को अंदर नहीं आने देना. तभी द्वार पर भगवान शंकर आए और गणेश ने उन्हें अपने ही घर में प्रवेश करने से मना कर दिया, जिसके बाद शिव जी ने क्रोधित होकर गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया. यह देख माता पार्वती दुखी होकर विलाप करने लग गई तब शिव ने गणेश जी को जीवित करने के लिए उनके धड़ पर हाथी का सिर लगा दिया और उन्हें प्रथम पूज्य का वरदान दिया. 

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गणेश जी के विवाह में रुकावटें
हाथी वाला सिर लगने के बाद गणेश जी के दो दांत उनकी सुंदरता बढ़ाते थे. लेकिन भगवान परशुराम से युद्ध करने के बाद उनका एक दांत टूट गया और वह एकदन्त कहलाए. इस युद्ध से देव कन्याएं उनसे डर गई. हाथी का सिर और वह भी एक दन्त, यह देखकर कोई भी देव कन्या उनसे विवाह करने को तैयार नहीं हुई. शिव और पार्वती ने भी कोशिश की लेकिन किसी कन्या को मना नहीं सके. इससे गणेश जी निराश हो गए. जब भी देव लोक में कोई विवाह होता गणेश जी उसमें बाधा डालने के लिए अपने मूषक को भेज देते. मूषक मंडप की जरुरी चीजों को खराब कर देते और विवाह में परेशानी पैदा हो जाती. इससे देवता परेशान हो गए और ब्रह्मा जी के पास गए. 

किससे और कैसे हुआ गणेश जी का विवाह 
जब सभी देवतागण ब्रह्मा जी के पास गए, तब ब्रह्माजी योग में लीन थे. देवताओं ने काफी प्रतीक्षा के बाद उनसे अपनी बात कही. ब्रह्मा जी ने  देवताओं के समाधान के लिए योग से दो कन्याएं ऋद्धि और सिद्धि प्रकट की. यह दोनों देवियां ब्रह्माजी की मानस पुत्रियां थीं. दोनों पुत्रियों को लेकर ब्रह्माजी गणेशजी के पास पहुंचे और बोले की आपको इन्हे शिक्षा देनी है. गणेशजी दोनों के शिक्षक बनने के लिए तैयार हो गए. इसके बाद जब भी मूषक गणपति जी के पास किसी के विवाह की सूचना लेकर आते तो ऋद्धि और सिद्धि उनका ध्यान भटका देतीं थी.  एक दिन गणेश जी को सारी बात समझ में आ गई.  गणेश जी के क्रोधित होने से पहले ही ब्रह्मा जी उनके सामने ऋद्धि सिद्धि को लेकर प्रकट हुए और बोलने लगे कि मुझे इनके लिए कोई योग्य वर नहीं मिल रहा है जरपा करके आप इनसे विवाह कर लें. इस प्रकार गणेश जी का विवाह बड़ी धूमधाम से ऋद्धि और सिद्धि के साथ हुआ और इसके बाद इन्हे दो पुत्रों की प्राप्ति हुई जिनका नाम था शुभ और लाभ.

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