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Somwar Ke Upay: काल सर्प दोष से लेकर अकाल मृत्यु तक टालता है भोलेनाथ का यह चमत्कारी स्तोत्र, जरूर करें पाठ

Somwar Ke Upay: सोमवार का दिन भोलेनाथ को समर्पित होता है. आज के दिन उन्हें प्रसन्न करने के लिए शिवभक्त अनेक उपाय करते हैं. सोमवार को महादेव के पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ जरूर करें. इससे काल सर्प दोष और अकाल मृत्यु के संकट को टाला जा सकता है. 

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Somwar Ke Upay
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Zee News Desk|Updated: Sep 11, 2023, 08:49 AM IST

Somwar Ke Upay: आज भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि है. आज तारीख 11 सितंबर दिन सोमवार है. हिंदू धर्म में सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है. इस दिन भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है. सोमवार के दिन भगवान शंकर की पूजा करने और व्रत (Somwar Vrat) रखने से भक्तों पर उनकी विशेष कृपा बरसती है. भोलेनाथ के आशीर्वाद से जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है. भोलेनाथ को प्रसन्न करना चाहते हैं तो पूजा में शिव पंचाक्षर/शिवपञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ जरूर करें. इसके रचयिता परम शिवभक्त आदि गुरु शंकराचार्य हैं. यह स्तोत्र, मंत्र नमः शिवाय पर आधारित है. 

पंचाक्षर स्तोत्र का महत्व 
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ॐ नमः शिवाय के जाप से पृथ्वी, अग्नि, जल, आकाश और वायु पांचों तत्व को नियंत्रित किए जा सकते हैं. इस मंत्र को मोक्षदायी कहा गया है. इस मंत्र का प्रत्येक अक्षर बेहद शक्तिशाली है. इसे समस्त वेदों का सार माना जाता है. वहीं पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करने वाले भक्त से भोलेनाथ बेहद प्रसन्न होते हैं. इसके पाठ से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर होते हैं. मान्यता है कि महाकाल के इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति की अकाल मृत्यु टल सकती है. इसके नियमित पाठ से काल सर्प दोष का प्रभाव भी दूर होता है. 

॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम: शिवाय ॥1॥

मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय, नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय ।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय, तस्मै मकाराय नम: शिवाय ॥2॥

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय, तस्मै शिकाराय नम: शिवाय ॥3॥

वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय ।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय, तस्मै वकाराय नम: शिवाय ॥4॥

यक्षस्वरूपाय जटाधराय, पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय, तस्मै यकाराय नम: शिवाय ॥5॥

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं य: पठेच्छिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥6॥

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