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Magh Mela 2024 Kalpavas: माघ मेले में पौष पूर्णिमा पर दूसरा स्नान आज, संगम तट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़

Magh Mela 2024 Kalpavas: माघ मेले का दूसरा स्नान पर्व पौष पूर्णिमा आज है. संगम नगरी प्रयागराज में गंगा की रेती पर बसने वाला तंबुओं का शहर पूरी तरह से बस चुका है. कड़कड़ाती ठंड के बीच गुरुवार से एक माह का कल्पवास शुरू हो रहा है.  

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Magh Mela 2024 Kalpavas
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Preeti Chauhan|Updated: Jan 25, 2024, 09:12 AM IST

Prayagraj Magh Mela: आज माघ मेले (Magh Mela) का दूसरा स्नान पर्व पौष पूर्णिमा है.  इतनी सर्दी के बाद भी भोर से ही प्रयागराज के संगम तट परपर स्नान-दान का सिलसिला शुरू हो चुका है.  गुरुवार की सुबह से ही लाखों की संख्या में भीड़ संगम की ओर आ रही है. अभिजीत मुहूर्त और सर्वार्थ सिद्ध योग के कारण पौष पूर्णिमा का यह स्नान खास महत्व रखता है.  पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व से कल्पवास की भी शुरुआत हो गई है.

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प्रयागराज: DIG राजीव नारायण मिश्र ने बताया, "पौष पूर्णिमा का पर्व है और माघ मेला भी शुरू हो गया है. श्रद्धालु पावन स्नान कर रहे हैं. सुरक्षा के व्यापक बंदौबस्त की व्यवस्था की गई है। NDRF, SDRF, जल पुलिस द्वारा निगरानी की जा रही है। CCTV के माध्यम से निगरानी की जा रही है।…

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पितरों की पूर्णिमा
पौष पूर्णिमा पितरों की पूर्णिमा मानी जाती है, इसलिए इस दिन इस दिन से ही पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर कल्पवास शुरू होता है. पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक कल्पवास का क्रम चलता है. कल्पवास की विधिवत शुरुआत के साथ तम्बुओं की नगरी पूरी तरह आबाद हो जाएगी. बता दें कि माघ में हर साल लाखों श्रद्धालु 1 महीने तक तंबुओं की नगरी में कल्पवास करते हैं. माघ मेले में ठंड के मद्देनजर नजर अलाव और 2000 श्रद्धालुओं के लिए रैन बसेरे का इंतजाम किया गया है.

एक माह का कल्पवास
कल्पवासी एक महीने तक नियमित गंगा स्नान दान के साथ ही सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं.  इस पूरे माह घर परिवार का मोह त्याग कर भजन कीर्तन करते हुए कल्पवास करते हैं. इस दौरान कल्पवासी सादगी भरा जीवन जीने का प्रयास करते हैं . कल्पवासी मोक्ष की कामना के साथ सामर्थ्य के अनुसार सुबह शाम गंगा स्नान कर कल्पवास के व्रत को पूरा करने के लिए माघ मेले में पहुंचकर डेरा जमाते हैं.  बड़ी संख्या में मेला क्षेत्र में पहुंचे कल्पवासी भी पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के गुरुवार से कल्पवास का संकल्प लेकर कल्पवास करेंगे. सनातन धर्म में माघ मेले में कल्पवास करने को अति महत्वपूर्ण बताया गया है.

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प्रयागराज में ही होता है कल्पवास
दुनिया में कल्पवास सिर्फ प्रयागराज में त्रिवेणी के तट पर होता है. पौराणिक मान्यता है कि पौष पूर्णिमा के दिन से तैंतीस करोड़ देवी-देवता भी संगम की रेती पर एक महीने तक विराजमान हो जाते हैं.

माघ मेले को प्लास्टिक फ्री घोषित 
माघ मेले के दूसरे स्नान पर्व पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई है. जानकारी के मुताबिक माघ मेला क्षेत्र में 4000 रनिंग फीट से ज्यादा के घाट बनाए गए हैं.  माघ मेले को पूरी तरह से प्लास्टिक फ्री घोषित किया गया है. यानी यहां पर प्लास्टिक का उपयोग करना वर्जित है. सुरक्षा के लिए भी चाक चौबंद इंतजाम किए गए हैं. स्नान के मद्देनजर ट्रैफिक मैनेजमेंट प्लान बनाया गया है, ताकि माघ मेले में आने वाले श्रद्धालु बगैर किसी परेशानी के स्नान कर वापस लौट सकें. पुलिस और पीएसी के साथ पैरामिलिट्री फ़ोर्स और एटीएस के कमांडो भी संगम तट पर निगरानी रख रहे हैं. 

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