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500 साल तक न जूता पहना न पगड़ी, राम मंदिर के लिए इस गांव के भक्तों ने दिया बड़ा बलिदान


अयोध्या में प्रभु श्री राम का भव्य मंदिर बनकर अब से कुछ ही दिनों में तैयार हो जाएगा. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि जनवरी 2024 तक प्रभु श्रीराम के मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा कर दिया जाएगा. इस मंदिर के निर्माण को लेकर हिंदू धर्म के लोगों ने लंबी लड़ाई लड़ी है. जब से राम मंदिर का फैसला हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के पक्ष में आया है. तभी से प्रभु श्री राम के भक्तों के चेहरे पर एक अलग प्रकार का खुशी वाला भाव नजर आ रहा है. लेकिन क्या आपको पता है कि इस लंबी लड़ाई में एक गांव के लोगों ने कितना बड़ा बलिदान दिया है. आइए आज आपको अयोध्या के इस गांव के लोगों के बलिदान से आपको अवगत कराते हैं.

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योगदान
योगदान

अयोध्या में राम मंदिर बनाने में बहुत से लोगों के संघर्षो और उनके योगदान को कभी भूला नहीं जा सकता है, लेकिन अयोध्या में राम मंदिर बनने के पीछे सूर्यवंशी क्षत्रियों ने जितना योगदान दिया है उतना कोई नहीं दिया होगा.

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वचन व प्रतिज्ञा
वचन व प्रतिज्ञा

अयोध्या में सूर्यवंशी क्षत्रियों को लेकर एक कहानी बहुत प्रचलित है. वहां के लोग आज भी अपने पूर्वजों के वचन व प्रतिज्ञा को निभाने का काम कर रहे हैं.

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पुरजोर विरोध
पुरजोर विरोध

जब मुगल अक्रातां राम मंदिर पर अपना अवैध कब्जा कर रहे थे. तब अयोध्या से 15 किलोमीटर दूर सरायवंशी गांव के लोगों ने इसका पुरजोर विरोध किया था. उसी समय यह प्रतिज्ञा भी लिया था कि जबतक प्रभु श्री राम का भव्य मंदिर अयोध्या में बनकर तैयार नहीं हो जाता है. तबतक वह पगड़ी और चमड़े का जूता नहीं पहनेगे.

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आश्चर्य कि बात यह है कि यह प्रतिज्ञा इस गांव के पूर्वजों ने 500 साल पहले ली थी. लेकिन सरायवंशी गांव के अभी के बुजुर्ग और वहां के युवा आज भी अपने कूल वंश सूर्यवंश के वचन को निभा रहे हैं.

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हर्षोल्लास
हर्षोल्लास

गांव के लोग बताते है कि संकल्प लेने के पीछे का कारण ये था कि अगर प्रभु ही अपने स्थान से विमुख हैं, तो वह लोग कैसे  अच्छे महल और शानदार वस्त्र धारण कर सकते हैं.  इस समाज के लोगों में प्रभु के भव्य मंदिर निर्माण से गजब का हर्षोल्लास देखने को मिला.





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