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Do You Know: कौन लाया था गणपति के लिए हाथी का सिर, कहानी बालक गणेश को मारकर जीवित करने की

Do You Know: गणेश जी पर हाथी का सिर लगाने की कहानी शिव के क्रोध से जुड़ी हुई है. जानें माता पार्वती के लाडले गणेश जी पर क्यों लगाना पड़ा हाथी का शीश.   

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Sandeep Bhardwaj|Updated: Sep 19, 2023, 07:39 PM IST

Do You Know: गणों के देवता गणेश जी सभी देवताओं में सबसे पहले पूजे जाते हैं. प्रत्येक शुभ कार्य से पहले गणेश पूजन करना अनिवार्य होता है. गणेश जी गणों के देवता है और इनका वाहन एक मूषक यानी चूहा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गणेश जी केतु के देवता हैं. भगवान गणेश जी की विशेष पूजा अर्चना के लिए साल भर में एक बार गणेश उत्सव मनाया जाता है. पूरे देश में गणपति उत्सव की धूम होती है. गणेश जी सभी विघ्नों के हर्ता हैं और भक्तों की झोली खुशियों से भर देते हैं. सभी भक्त जानते हैं कि गणेश जी का सिर एक हाथी का सिर है. क्या है इसका कारण और कौन लाया गणेश जी के लिए हाथी का सिर यहाँ पढ़ें. 

गणेश जी का शीश किसने और क्यों काटा
कहते हैं जब माता पार्वती ने अपने पुत्र गणेश के शरीर की रचना की तो उन्हें एक खूबसूरत बालक बनाया. उनका मुख भी अन्य देवों की तरह सुन्दर और तेजमयी था. एक बार माता पार्वती  स्नान करने गई और अपने प्यारे पुत्र गणेश जी को पहरेदारी पर रखते हुआ कहा कि किसी को भी अंदर नहीं आने देना है. माता के स्नान करने के दौरान ही द्वार पर भगवान शंकर आए और गणेश जी से अंदर जाने के लिए आग्रह करने लगे. लेकिन पुत्र गणेश ने उन्हें अपने ही घर में प्रवेश करने से मना कर दिया, जिसके बाद शिव जी बहुत ही क्रोधित हो गए. उन्होंने अपना त्रिशूल उठाया और गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया.

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गणेश जी पर लगा हाथी का सिर 
जब माता पार्वती स्नान करके बाहर आई तो उन्होंने देखा कि उनका पुत्र मार दिया गया है और सिर धड़ से अलग पड़ा हुआ है, यह देखकर वह बहुत दुखी और क्रोधित हुई. उन्होंने भगवान शिव से अपने पुत्र को पुनर्जीवित करने की मांग की. शिव असमंजस में पड़ गए. कटा हुआ सिर दोबारा नहीं लगाया जा सकता था. इसलिए भगवान शिव ने विष्णु भगवान के कहा कि वह गणेश के लिए कोई सिर लेकर आएं. विष्णु भगवान ने जंगल में देखा कि एक हथिनी अपने बालक की और पीठ करके सोई थी. विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से उसके बालक का सिर धड़ से अलग कर दिया और शिवजी के पास ले आए. शिव जी ने यह सिर गणेश जी  को लगाया और उन्हें पुनर्जीवित करते हुए प्रथम पूज्य का वरदान दिया.  गणेश जी का धड़ से लग किया हुआ सिर आज भी हिमालय की गुफा में रखा गया है.

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