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Mahashivratri 2024: 72 साल बाद महाशिवरात्रि पर बन रहे इन तीन सिद्ध योग में करें शिव की आराधना, मिलेगी महादेव की कृपा

Mahashivratri 2024 shubh sanyog: पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही महादेव (Lord Shiva) और माता पार्वती का विवाह हुआ था.

 

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हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. ये शिव भक्तों के लिए बहुत बड़ा दिन होता है. पंचांगों के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि आठ मार्च को है. मंदिरों के शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है.  

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इस दिन शिव जी और माता पार्वती का विवाह हुआ था.  इस दिन शिव भक्त मंदिर में जाकर शिवजी की पूजा और अभिषेक करते हैं.  

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इस व्रत के प्रताप से साधक का जीवन जन्म-जन्मांतर के लिए सफल हो जाता है और हर क्षेत्र में उसे कामयाबी होती है. विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती है. इस बार की महाशिवरात्रि कुछ खास है क्योंकि इस बार 72 साल के बाद अद्भुत संयोग बन रहे है. 

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इस बार महाशिवरात्रि पर 72 साल बाद अद्भुत संयोग बन रहा है. इस बार इस त्योहार पर शिवयोग, सिद्ध योग और चतुर्ग्रही योग बन रहा है. 

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शास्त्रों के अनुसार साल में 11 मास शिवरात्रि होती है. लेकिन, फाल्गुन कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि की शिवरात्रि महाशिवरात्रि के नाम से जानी जाती है. इसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. 

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ऐसी कहा जाता है कि  इस दिन निशा बेला में भगवान शिव ज्योतिर्लिंग रूप में अवतरित हुए थे. वहीं, प्रजापति राजा दक्ष की कन्या माता सती का विवाह भी भगवान शिव से हुआ था. 

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इस दिन बाबा भोलेनाथ की तपस्या और पूजा से कठिन कार्य भी सरल हो जाते हैं. हर तरह के ग्रह आदि बाधाओं से भी मुक्ति मिलती है. 

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महाशिवरात्रि की पूजा चार प्रहर में की जा सकती है. प्रथम प्रहर में भगवान शिव का दूध से अभिषेक, दूसरे प्रहर में दही से, तीसरे प्रहर में शुद्ध देसी घी से और चौथे प्रहर में शहद से अभिषेक किया जा सकता है. 

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महाशिवरात्रि के दिन शिव स्तुति, शिव मंत्र, शिव सहस्रनाम, शिव चालीसा, शिव तांडव, रुद्राष्टक, शिव पुराण और शिव आरती गाना अत्यधिक फलदायी माने जाते हैं.

 

 

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Disclaimer
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यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

 





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