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Chhath puja: छठ पूजा के दूसरे दिन होता है खरना, भूलकर भी इन नियमों को न तोड़ें, नाराज हो सकती है छट मइया

Chhath puja: नहाय खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत होती है और चौथे दिन व्रत का पारण किया जाता है. इस दौरान दूसरे दिन खरना पड़ता है जिसका विशेष महत्व है.

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Padma Shree Shubham|Updated: Nov 04, 2023, 02:13 PM IST

Chhath puja: लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के दूसरे दिन खरना मनाया जाता है. छठी मैया के लिए इस दिन गुड़ की खीर को प्रसाद के रूप में तैयार किया जाता है. इस प्रसाद को साफ-सुथरे तरीके से तैयार करने की परंपरा है. नहाय खाय के साथ शुरू होने वाली छठ पूजा में जो खरना का दिन होता हैं वो भी अपने आप में महत्वपूर्ण दिन होता है. इस दिन पूरे नियम के साथ खरना का खीर प्रसाद के लिए बनाया जाता है.

छठ पर्व की शुरुआत इस साल 17 नवंबर 2023 से हो रही है, 20 नवंबर को इसका समापन होगा. छठ पर्व में छठी मइया और सूर्य देव की उपासना की जाती है.उषा, प्रकृति, जल, वायु और सूर्यदेव की बहन षष्ठी माता को यह पूजा समर्पित है.

क्या है खरना और इसके नियम?
छठ पर्व का दूसरा दिन खरना होता है, इस दिन छठी मैया के लिए गुड़ की खीर तैयार की जाती है और इस दौरान शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है. खरना के दिन पूरे दिन उपवास रखा जाता है और फिर शाम के समय छठी मैया के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है. खीर को मिट्टी के चूल्हे बनाया जाता है. यह खीर आम की लकड़ियों को जलाकर ही तैयार किया जाता है. जब प्रसाद तैयार हो जाता है तब छठ व्रती इसे ग्रहण करती हैं और फिर पूरे प्रसाद को लोगों में बांट दिया जाता है. इस दिन व्रती पूरे मन से  भगवान सूर्य की आराधना करते हैं. 

डूबते सूर्य को अर्घ्य
खरना के अगले दिन शाम के समय नदी और पवित्र सरोवर में उतरकर डूबते सूर्य को व्रती अर्घ्य देते हैं. सूर्यदेव को जल और दूध से अर्घ्य देने की परंपरा है. महिलाएं छठी मैया के गीत भी गाती जाती है और फिर इसके अगले दिन उगते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य देने के लिए फिर से नदी या सरोवर में उतरा जाता है.

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