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हाईकोर्ट में अब नहीं चलेगा योर ऑनर, माई लॉर्ड, इलाहाबाद हाईकोर्ट में खत्म होगी 600 साल पुरानी ब्रिटिश परंपरा

High Court Lawyers Strike: इलाहाबाद हाईकोर्ट में शुक्रवार को भी वकीलों की स्ट्राइक जारी है. हड़ताल के चलते न्यायिक कामकाज नहीं होगा. बुधवार और गुरुवार को भी वकीलों के कार्यबहिष्कार करने से न्यायिक कामकाज बाधित हुआ था. 

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हाईकोर्ट में अब नहीं चलेगा योर ऑनर, माई लॉर्ड, इलाहाबाद हाईकोर्ट में खत्म होगी 600 साल पुरानी ब्रिटिश परंपरा
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Shailjakant Mishra|Updated: Jul 12, 2024, 02:45 PM IST

High Court Lawyers Strike: इलाहाबाद हाईकोर्ट में शुक्रवार को भी वकीलों की स्ट्राइक जारी है. हड़ताल के चलते न्यायिक कामकाज नहीं होगा. बुधवार और गुरुवार को भी वकीलों के कार्यबहिष्कार करने से न्यायिक कामकाज बाधित हुआ था. बार एसोसिएशन ने बैठक कर प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें कहा गया है कि अब कोई भी वकील जज को योर ऑनर या माई लॉर्ड कहकर नहीं बुलाएगा. 

वकीलों का क्या कहना?
वकील हाईकोर्ट रूल्स के विपरीत मुकदमों की मनमानी सुनवाई प्रक्रिया का विरोध कर रहे हैं, इसके अलावा अधिवक्ताओं के साथ बदसलूकी, मुकदमों में मनमाना फैसला और एकवोकेट रोल का डेटा न दिए जाने जैसे कई मुद्दे शामिल हैं, जिनके विरोध में वकील न्यायिक कामकाज में हिस्सा नहीं ले रहे हैं. वकीलों का कहना है कोर्ट मनमाने ढंग से काम कर रही है. वकीलों की न सुनवाई हो रही है और साथ ही भरे कोर्ट में उनके साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है.

'योर ऑनर' या 'माई लॉर्ड' की पुरानी बहस
जज को योर ऑनर या माई लॉर्ड कहकर संबोधित करने की बहस कोई नई नहीं है, इससे पहले भी इस पर सवाल उठाए जा चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट के जज पीएस नरसिम्हा से लेकर कई जज माई लॉर्ड और योर ऑनर  शब्दों को लेकर ऐतराज जता चुके हैं, उन्होंने इसकी जगह 'सर' शब्द के इस्तेमाल करने की सलाह दी. कहा गया कि था कि ये औपनिवेशिक काल का चलन है, जिसको अभी भी प्रैक्टिस में रखा जा रहा है. साल 2016 में भी बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से यह प्रस्ताव पारित किया जा चुका है कि माई लॉर्ड टर्म का इस्तेमाल न किया जाए. सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट के कई जज यह कह चुके हैं कि उनको माई लॉर्ड कहकर न बुलाया जाए. 

2006 में उठाई गई आपत्ति
2006 में प्रोग्रेसिव एंड विजिलंट लॉयर्स फोरम ने जनहित याचिका दायर कर जजों के लिए प्रयोग किए जाने वाले शब्दों पर आपत्ति उठाई. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि जजों को क्या कहकर संबोधित करना है, यह बार काउंसिल तय करे. 

बार काउंसिल ने जोड़ा नया संकल्प
इसके बाद काउंसिल (बार काउंसिल ऑफ इंडिया वकीलों के लिए शिष्टाचार के मानक तय करती है) ने 2006 में BCI रूल्स पार्ट VI के चैप्टर में IIIA में नया संकल्प जोड़ा. जिसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में जजों को योर ऑनर या ऑनरेबल कोर्ट कहा जाए. जबकि निचली अदालतों में सर या अन्य क्षेत्रीय भाषा में सम्मानीय शब्द का प्रयोग किया जाए. हालांकि अभी इसको लेकर देश में कोई एकरूपता देखने को नहीं मिलती है. 

क्यों होता है इस्तेमाल
'योर ऑनर' या 'माई लॉर्ड' शब्दों के प्रयोग को परंपरागत के तौर पर चलन माना जाता है, इसका इस्तेमाल अदालत के सम्मान में किया जाता है. जिसके चलते वकील इन टर्म का प्रयोग करते हैं. नए वकील भी अपने सीनियर का अनुसरण कर इनका इस्तेमाल करते हैं. इंग्लैंड की अदालतों में इस तरह के शब्दों के संबोधन का ज्यादा चलन है. साथ ही बहस के समय जज और वकीलों को विग भी लगाना होता है. 

 

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