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Allahabad High Court: प्रेमी जोड़ों को कोर्ट मैरिज पर राहत, हाईकोर्ट ने कहा, धर्म की दीवारें शादी करने से नहीं रोक सकती

Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट से एक बड़ी ख़बर सामने आ रही हैं जहां इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. जानिए हाईकोर्ट ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत क्या कहा.......  

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Rahul Mishra|Updated: May 31, 2024, 03:15 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट से एक बड़ी ख़बर सामने आ रही हैं जहां इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि विशेष विवाह अधिनियम के तहत अंतरधार्मिक जोड़ों को धर्म परिवर्तन के बिना कोर्ट मैरिज से रोका नहीं जा सकता. कोर्ट ने कहा ऐसे मामलों में जरूरी नहीं है कि अंतरधार्मिक जोड़े को धर्म परिवर्तन करना पड़े. हाईकोर्ट ने मामले में याची अंतरधार्मिक जोड़े को सुरक्षा दिए जाने का भी दिया निर्देश. याचियों ने परिवार वालों से जान का खतरा जताते हुए हाईकोर्ट से सुरक्षा की गुहार लगाई थी. जिसके चलते जस्टिस ज्योत्सना शर्मा की सिंगल बेंच ने आदेश दिया. 

याचिका का विरोध
दरअसल, राज्य सरकार ने इस याचिका के विरोध में कहा था कि संबंधित व्यक्ति पहले ही एक समझौते के अनुसार शादी कर चुके हैं. जिस वजह से कानून की नज़रों में इस विवाह की कोई मान्यता नहीं होती है और इसी कारण से उन्हें कोई सुरक्षा भी नहीं दी जाती. 

न्यायमूर्ति ज्योत्सना शर्मा तर्क
वही मामले की सुनवाई में तर्क रखते हुए न्यायमूर्ति ज्योत्सना शर्मा ने कहा कि समझौते के माध्यम से किया गया विवाह कानून के हिसाब से अमान्य हो सकता है, लेकिन यह किसी पक्ष को धार्मिक परिवर्तन के बिना विशेष विवाह समिति के तहत अदालत में विवाह के लिए आवेदन करने से नहीं रोकता है. 

अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सुरक्षा प्रदान की. इस मामले की अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी, जिसमें नए विवाह के संबंध में फैसला हो सकता. विशेष विवाह अधिनियम, 1954, सभी धर्म के लोगों के विवाह के लिए एक कानूनी रूप से मान्यता प्रदान करता है. इस कानून के तहत कोई भी व्यक्ति बिना धर्म बदले दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी कर सकता है. 

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