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पत्नी कैरेक्टरलेस तो नहीं?, ये साबित करने को DNA टेस्ट नहीं करा सकता पति : इलाहाबाद हाईकोर्ट

Allahabad High Court : पेशे से एक डॉक्‍टर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसमें डॉक्‍टर पति ने अपनी पत्‍नी को चरित्रहीन साबित करने के लिए बेटियों की डीएनए टेस्‍ट की मांग की थी. 

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सांकेतिक तस्‍वीर
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Amitesh Pandey |Updated: Jun 27, 2024, 05:16 PM IST

Allahabad High Court : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने डीएनए टेस्‍ट को लेकर अहम टिप्‍पणी की है. एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि पत्‍नी को बदचलन या चरित्रहीन साबित करने के लिए बच्‍चों का डीएनए टेस्‍ट नहीं करा सकते. हाई कोर्ट ने यह टिप्‍पणी डॉक्‍टर की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए की. 

डॉक्‍टर पति की याचिका खारिज  
दरअसल, पेशे से एक डॉक्‍टर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसमें डॉक्‍टर पति ने अपनी पत्‍नी को चरित्रहीन साबित करने के लिए बेटियों की डीएनए टेस्‍ट की मांग की थी. डॉक्‍टर पति का आरोप था कि उसकी पत्नी चरित्रहीन है, शक है कि बच्चे किसी और के हो सकते हैं. पति ने कोर्ट से बेटियों का डीएनए टेस्‍ट कराने की अनुमति देने की मांग की थी. 

DNA टेस्‍ट भरण पोषण से बचने का हथियार नहीं 
बता दें कि डॉक्‍टर पति ने पत्‍नी और बेटियों को गुजारा भत्‍ता देने के आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. कोर्ट ने डॉक्‍टर की याचिका खारिज करते हुए अहम टिप्‍पणी की. कोर्ट ने कहा कि पत्‍नी या किसी महिला को चरित्रहीन साबित करने के लिए बच्‍चों का डीएनए टेस्‍ट नहीं कराया जा सकता. न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी की अदालत ने कहा कि डीएनए टेस्ट भरण पोषण से बचने का हथियार नहीं है.  

यह है पूरा मामला 
यूपी के कासगंज के गंजडुंडवारा के रहने वाले डॉ. इफराक उर्फ मोहम्मद इफराक हुसैन का निकाह 12 नवंबर 2013 को शाजिया परवीन से हुआ था. निकाह के बाद कुछ साल तक दोनों में सबकुछ ठीक चला. दोनों को दो बेटियां भी हुईं. साल 2017 में दोनों में विवाद शुरू हो गया. पति से लड़ाई के बाद शाजिया मायके चली गई. शाजिया ने गुजारा भत्‍ता को लेकर याचिका दायर की थी. 

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