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वट सावित्री व्रत में क्यों होती है बरगद की पूजा, क्या है पौराणिक मान्यता

सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए वट सावित्री की पूजा कर व्रत रखती हैं. यह व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या और पूर्णिमा को रखा जाता है.
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वट सावित्री व्रत में बरगद की पूजा
वट सावित्री व्रत में बरगद की पूजा

पति की लंबी आयु और स्वास्थ्य के लिए रखे जाने वाले वट सावित्री व्रत में बरगद की पूजा की जाती है. 

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सावित्री सत्यवान की कथा
सावित्री सत्यवान की कथा

सुहागिन स्त्रियां ज्येष्ठ माह की अमावस्या और पूर्णिमा को यह व्रत रखती हैं, और सत्यवान और सावित्री की कथा सुनकर पूजा करती हैं. 

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पति के लिए सावित्री ने रखा था व्रत
पति के लिए सावित्री ने रखा था व्रत

सावित्री ने अपने पति सत्यवान को मृत्यु से बचाने के लिए त्रयोदशी के दिन से उपवास प्रारंभ कर दिया था. 

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क्या है सावित्री-सत्यवान की कथा
क्या है सावित्री-सत्यवान की कथा

सत्यवान जंगल में लकड़ी काटने जाते थे. वे पेड़ पर चढ़ गए और लकड़ी काटने लगे तभी सिर में तेज दर्द हुआ और पेड़ से नीचे उतरकर सावित्री के पास आ गए.

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बरगद के नीचे सत्यवान ने त्यागे प्राण
बरगद के नीचे सत्यवान ने त्यागे प्राण

सावित्री सत्यवान को बरगद की छाव में ले गई और वहां उनका सिर अपनी गोद में लेकर सहलाने लगी. तभी सत्यवान ने प्राण त्याग दिए.

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वट वृक्ष की पूजा का विधान
वट वृक्ष की पूजा का विधान

सत्यवान ने बरगद के नीचे सावित्री की गोद में प्राण त्यागे थे इसलिए वट वृक्ष की पूजा का विधान है. इसके अलावा भी शास्त्रों में बरगद की पूजा कई महत्व बताए गए हैं.

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बरगद की घनी छाया
बरगद की घनी छाया

ज्येष्ठ माह में काफी धूप होती है. तपती धूम में महिलाओं ने इस वृक्ष को पूजा के लिए इसलिए भी चुना क्योंकि  यह घनी छाया वाला और विशाल होता है जिसके नीचे कई महिलाएं एक साथ पूजा कर सकती है. 

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वट वृक्ष में त्रिदेवों का निवास
वट वृक्ष में त्रिदेवों का निवास

पुराणों में कहा गया है कि वट में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास है। मान्यता अनुसार इस व्रत को करने से पति की अकाल मृत्यु टल जाती है.

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धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यता

धार्मिक मान्यता है कि वट वृक्ष की पूजा लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य देने के साथ ही हर तरह के कलह और संताप मिटाने वाली होती है.

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DISCLAIMER
DISCLAIMER

यह खबर सिर्फ धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित है. इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. Zee UPUK किसी भी तरह की मान्यता औ धारणा की पुष्टि नहीं करता है.