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UP School Jobs: यूपी के एडेड स्‍कूलों में होगी चपरासी-क्लर्क से लेकर प्रिंसिपलों की भर्ती, 4 हजार से ज्यादा पद खाली

Recruitment in UP Schools : यूपी में बेसिक शिक्षा विभाग में 3049 एडेड प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल हैं. इनमें प्रिंसिपल के 570 और शिक्षकों के 2289 पद खाली हैं. 

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फाइल फोटो
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Amitesh Pandey |Updated: Jul 07, 2024, 10:20 PM IST

Recruitment in UP Schools : यूपी की योगी सरकार एडेड स्‍कूलों में बड़ी भर्ती करने जा रही है. योगी सरकार माध्यमिक की तरह अब बेसिक के एडेड स्कूलों में भी समूह ग और घ के लिए आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती करेगी. आउटसोर्सिंग भर्ती के लिए योगी सरकार को प्रस्‍ताव भेज दिया गया है. शासन से अनुमति मिलते ही बेसिक के एडेड स्‍कूलों में भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. 

खाली पड़े पदों का ब्‍योरा मांगा 
महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने यूपी में बेसिक के एडेड स्‍कूलों में खाली पड़े पदों का ब्‍योरा मांगा है. बता दें कि यूपी में बेसिक शिक्षा विभाग में 3049 एडेड प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल हैं. इनमें प्रिंसिपल के 570 और शिक्षकों के 2289 पद खाली हैं. अगर बात समूह ग और घ के पदों की करें तो लगभग 1000 पद खाली हैं. शासन से हरी झंडी मिलते ही आउटसोर्सिंग के जरिए इन पदों पर भर्ती शुरू हो जाएगी. 

शिक्षक और प्रिंसिपल की भी नियुक्ति होगी 
महानिदेशक स्‍कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने कहा कि कुल सृजित पदों के ब्योरे के साथ शासन से समन्वय स्थापित कर शासनादेश के लिए जरूरी कार्यवाही की जाए. शिक्षकों और प्रिंसिपलों के भी काफी पद खाली हैं, लेकिन इनकी भर्ती शिक्षा सेवा चयन आयोग से ही होनी है. नए आयोग के गठन के बाद इन पदों को भरने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी जाएगी. 

प्रबंधक स्‍तर पर होती थी भर्तियां 
एडेड स्कूलों में प्रबंधतंत्र निजी होता है. उत्‍तर प्रदेश सरकार सिर्फ वेतन का ही खर्च उठाती है. प्रबंधक ही यहां शिक्षकों से लेकर कर्मचारियों की भर्ती करता है. पहले प्रबंधक स्‍तर से ही भर्तियां होती थीं. हालांकि, प्रबंधक स्‍तर पर होनी वाली भर्तियों में लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं. आरोप लगाए जाते थे कि प्रबंधक इन नौकरियों के लिए लाखों रुपये घूस लेते थे. इसके बाद मामला कोर्ट पहुंचा. 

लंबे समय से इन भर्तियों में लगी है रोक 
फ‍िर उत्‍तर प्रदेश सरकार ने लंबे समय से इन भर्तियों में रोक लगा रखी है. लंबे समय से भर्तियां न होने से स्कूलों में शिक्षकों और कर्मचारियों की संख्या काफी कम हो गई है. कई स्कूलों में तृतीय और चतुर्थ कर्मचारी न होने से काम ठप हो गया. सरकार को लगा कि आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती से कोई विवाद नहीं होगा. 

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