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निकाय चुनाव के नतीजे क्यों है सपा के लिए खतरे की घंटी, 2024 के पहले मुस्लिमों ने दिए बड़े बदलाव के संकेत

UP Politics : पिछले विधानसभा चुनाव (2022) में सपा को मुस्लिम वोटों का साथ मिला था. वहीं, इस बार निकाय चुनाव में इससे उलट देखने को मिला. मुस्लिम वोट बिखर गया. इसका मतलब है कि मुस्लिमों ने अपनी-अपनी पसंद के उम्‍मीदवारों को मत दिया.

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सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव (फाइल फोटो)
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Zee News Desk|Updated: May 21, 2023, 01:35 PM IST

UP Politics : यूपी में निकाय चुनाव संपन्‍न हो गया है. इस बार निकाय चुनाव में मुस्लिम वोटों में असंतुष्टि दिखी. साफ शब्‍दों में कहें तो यह कि मुस्लिम वोट बिखर गया. किसी एक पार्टी को मुस्लिमों का वोट नहीं मिला. इसका सबसे ज्‍यादा नुकसान समाजवादी पार्टी को हुई. जानकारों का मानना है कि अगर मुस्लिम वोट ऐसे ही बिखर गया तो अगले लोकसभा चुनाव में सपा की मुश्किल और बढ़ जाएगी.   

छोटे दलों को भी हुआ फायदा
दरअसल, पिछले विधानसभा चुनाव (2022) में सपा को मुस्लिम वोटों का साथ मिला था. वहीं, इस बार निकाय चुनाव में इससे उलट देखने को मिला. मुस्लिम वोट बिखर गया. इसका मतलब है कि मुस्लिमों ने अपनी-अपनी पसंद के उम्‍मीदवारों को मत दिया. इसमें छोटे दल भी शामिल हैं. 

सपा-बसपा को नजरअंदाज कर पसंद के प्रत्‍याशियों को दिया वोट 
जानकारी के मुताबिक, मुसलमानों ने किसी सीट पर बसपा तो किसी पर सपा को वोट किया, लेकिन कुछ सीटों पर बसपा-सपा के मुस्लिम समुदाय के प्रत्‍याशियों को नजरअंदाज कर कांग्रेस, निर्दलीय, आम आदमी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के साथ खड़े नजर आए. 

सपा के गढ़ मुरादाबाद में मुस्लिम वोटरों में बिखराव 
जानकारों की मानें तो सपा का सबसे मजबूत किले मुरादाबाद में भी मुस्लिम मतदाता बंटे हुए दिखाई दिए. यहां से सपा के पांच विधायक और एक सांसद हैं, फिर भी सपा चौथे पायदान पर खड़ी नजर आई. कांग्रेस प्रत्याशी रिजवान दूसरे नंबर पर रहे, तो वहीं बसपा प्रत्याशी मोहम्मद यामीन तीसरे नंबर पर रहे. कांग्रेस को मिले मत स्पष्ट करते हैं कि वहां मुसलमानों का एक बड़ा हिस्सा सपा के बजाय कांग्रेस की तरफ गया. शाहजहांपुर में मुस्लिम कांग्रेस और सपा के बीच बंटे. बरेली में भी मुस्लिमों का वोट एक पार्टी को नहीं गया. 

मुस्लिम वोटरों का भाजपा के प्रति विश्‍वास बढ़ा 
आंकड़ों पर नजर डाले तो पता चलता है कि इस बार मुस्लिम बाहुल मतदाताओं वाली सीटों पर भी भाजपा को जीत मिली है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा के प्रति मुस्लिम वोटर भी अपना विश्वास जता रहा है. भाजपा ने निकाय चुनाव में 395 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे थे. इसमें कुल 71 उम्मीदवार चुनाव जीते. 

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