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UP Nagar Nikay Chunav: नगर निकाय चुनाव में मेयर सीटों के आरक्षण पर फंसा पेंच, चुनावी ऐलान में देरी

UP Nagar Nikay Chunav 2023 dates : उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव में नगर निगमों की महापौर सीटों के आरक्षण का मामला अटक गया है. इससे निर्वाचन आयोग उत्तर प्रदेश की ओर से चुनावी ऐलान में देरी हो सकती है. 

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Nagar Nigam Election 2023 in UP
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Amrish Kumar Trivedi|Updated: Apr 09, 2023, 11:17 AM IST

UP Nagar Nikay Chunav 2023 dates : उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के लिए नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष पदों के लिए आरक्षण के ऐलान के बाद फिर पेंच सकता है. दरअसल, नगर निगम पदों के लिए आरक्षण पर सैकड़ों की संख्या में आपत्तियां मिली हैं और उनके निस्तारण में समय लग सकता है. इससे निर्वाचन आयोग उत्तर प्रदेश की ओर से तारीखों के ऐलान में देरी हो सकती है. 

नगर निकाय चुनाव 2023 के आरक्षण पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं. कुल 832 आपत्तियां दर्ज की गई हैं.  मुख्य सचिव ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये सभी ज़िलाधिकारियों और मंडलयुक्तों को आपत्तियां दर्ज कराने का समय खत्म होने के बाद इन आपत्तियों के जल्द निपटारे का आदेश दिया है. माना जा रहा है शुक्रवार शाम तक सभी आपत्तियों का निस्तारण हो सकता है. इसके बाद नगर विकास विभाग आरक्षण की अधिसूचना जारी कर सकता है. विभाग चुनाव संबंधी कार्यक्रम राज्य चुनाव आयोग को सौंप सकता है. राज्य चुनाव आयोग कार्यक्रम मिलने के बाद कभी भी चुनाव की अधिसूचना जारी कर सकता है.

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अभी तक यही कयास लगाए जा रहे हैं कि निर्वाचन आयोग मई महीने के पहले हफ्ते में चुनाव की घोषणा कर सकता है. लेकिन यह निर्भर करेगा कि आरक्षण की आपत्तियों का निस्तारण कितने समय में होता है. साथ ही ओबीसी आयोग की रिपोर्ट को लेकर जो मामला कोर्ट में पहुंचा है, उसके नतीजों पर भी सबकी निगाहें टिकी हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ओबीसी आयोग की रिपोर्ट 4 दिन में अपलोड करने का निर्देश दिया है. 

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में किन जातियों को राजनीतिक तौर पर पिछड़ा माना है. उनकी नुमाइंदगी बढ़ाने के लिए क्या सुझाव सिफारिशें दी गई हैं, इसकी जानकारी ही नहीं हैं. उनका कहना है कि अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण का लाभ सिर्फ कुछ जातियों तक सीमित रह गया है.

नगर निकाय चुनाव में पहले ही काफी करीब चार महीने की देरी हो चुकी है. योगी सरकार ने पिछली बार 5 दिसंबर को चुनावी आरक्षण का ऐलान किया था. इसके बाद ओबीसी आरक्षण में ट्रिपल टेस्ट का फार्मूला न अपनाए जाने को लेकर मामला कोर्ट पहुंच गया था. 

 

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