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UP Cabinet Meeting : अप्रैल में किस तारीख को होंगे नगर निकाय चुनाव, यूपी कैबिनेट बैठक के बाद तस्वीर साफ

UP Cabinet Meeting : उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव 2023 को लेकर शंखाद हो चुका है. ओबीसी सर्वे पर पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी रिपोर्ट सीएम योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है. यूपी कैबिनेट बैठक के बाद तस्वीर साफ होगी. 

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UP Cabinet approves OBC Survey Report
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Amrish Kumar Trivedi|Updated: Mar 10, 2023, 03:27 PM IST

UP Nagar Nikay Chunav 2023 : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने शुक्रवार को यूपी नगर निकाय चुनाव को लेकर बने ओबीसी कमीशन की सर्वे रिपोर्ट पर मुहर लगा दी. पिछड़ा वर्ग आयोग ने यूपी के सभी 75 जिलों का दौरा कर ये रिपोर्ट तैयार की थी. माना जा रहा है कि 350 पेज की ये रिपोर्ट सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष पेश की जाएगी.

दालती मंजूरी के साथ चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है. हालांकि उसके पहले नगर निगम और नगरपालिका अध्यक्षों या पार्षदों से जुड़े आरक्षण की सूची नगर विकास विभाग दोबारा जारी कर सकता है. इस पर एक हफ्ते में पहले की तरह आपत्तियां मांगी जा सकती हैं. ताकि आरक्षण सूची के मुताबिक़ नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में सदस्यों और अध्यक्षों का चुनाव कराया जा सके. ऐसे में नगर विकास विभाग मार्च के अंत तक दोबारा आरक्षण की अनंतिम सूची जारी कर सकता है. इस पर एक हफ्ते में आपत्तियां मांगी जा सकती है. अगर मामला अदालत में न अटका तो अप्रैल मध्य में नगर निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं.

मालूम हो कि जनवरी में यूपी सरकार के नगर विकास विभाग ने नगर निकाय चुनाव के लिए अनंतिम आरक्षण सूची जारी की थी. लेकिन इसमें पिछड़ों के कम प्रतिनिधित्व और आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट फार्मूले का पालन न करने के सवाल पर कई याचिकाकर्ता कोर्ट पहुंच गए थे. हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को सही मानते हुए रैपिड टेस्ट के आधार पर आरक्षण को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने योगी सरकार से पिछड़ा वर्ग आयोग गठित कर ओबीसी जातियों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर रिपोर्ट तैयार करने को कहा था. 

आयोग ने करीब दो माह के भीतर सभी 75 जिलों का दौरा करके ओबीसी की राजनीतिक नुमाइंदगी पर रिपोर्ट तैयार की है. हालांकि रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद ही पता चल सकेगा कि आरक्षण की पुरानी स्थिति और अब में क्या फर्क है. समाजवादी पार्टी पहले ही आयोग की आरक्षण प्रक्रिया पर सवाल उठा चुकी है. ऐसे में यह आशंका भी है कि नाराज पक्ष दोबारा हाईकोर्ट का रुख कर सकते हैं. 

 

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