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Hathras News: ब्रज का सैकड़ों साल पुराना लक्खी मेला दाऊ जी महाराज का आगाज, कुश्ती में जुटेंगे दुनिया के दिग्गज पहलवान

Shri Dauji Mela: उत्तर प्रदेश के हाथरस में ब्रज क्षेत्र का प्रसिद्ध ऐतिहासिक श्री दाऊजी मेला शुरू होने जा रहा है. मेले में लोगों को बड़े ही अद्भुत नजारे देखने को मिलेंगे. मेले की शुरूआत सितंबर के ... पढ़िए पूरी खबर ...

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Zee Media Bureau|Updated: Sep 01, 2024, 04:30 PM IST

UP Ki Baat: उत्तर प्रदेश के हाथरस में ब्रज क्षेत्र का प्रसिद्ध ऐतिहासिक श्री दाऊजी मेला शुरू होने जा रहा है. मेले में लोगों को बड़े ही अद्भुत नजारे देखने को मिलेंगे. मेले की शुरूआत 7 सितंबर से होगी. हालांकि मेले की औपचारिक शुरूआत 9 सितंबर के दिन बलदेव छठ के दिन होगी. मेले के लिए जमीनी स्तर पर तैयारियां बड़ी जोरों पर चल रही हैं. इस बार यह मेला 15 दिनों तक चलेगा.  

राजकीय मेला
राज्य सरकार की तरफ से इस बार मेले को राजकीय मेला घोषित किया गया है. इसी को ध्यान में रखते हुए शासन ने मेले के लिए 50 लाख की ग्रांट भी जारी की है. मेले को भव्य बनाने के लिए स्थल पर साज सजावट, झूल, खेलों के सामान के साथ बाकी मनोरंजन का सामान पहुंचने लगा है. प्रशासन की तरफ से भी मेले के लिए प्रयोग में आने वाले रास्तों की मरम्मत का काम किया जा रहा है. वहीं इसके साथ कई सामाजिक संगठन क्षेत्र की साफ सफाई का काम कर रहे हैं. 

15 दिनों तक चलेगा मेला
हाथरस में होने वाला यह भव्य मेला 15 दिनों तक चलेगा. मेले में कई कार्यक्रम होंगे. इनमें होने वाले कुछ कार्यक्रमों में विशाल कुश्ती दंगल, मुशायरा, लाफ्टर शो, भजन संध्या, एक शाम अटल के नाम, अखिल भारतीय कवि सम्मेलन जैसे कार्यक्रम शामिल हैं. मेले का समापन 27 सितंबर को होगा. 

मेले का इतिहास 
मेले की शुरूआत साल 1912 में उस समय के तहसीलदार श्यामलाल ने की थी. कहते हैं कि तहसीलदार के बेटे की तबीयत खराब थी. उसी दौरान श्यामलाल के सपने में दाऊजी महाराज ने आकर उनका मंदिर खोलकर पूजा करने को कहा था. दाऊजी के कहे अनुसार श्यामलाल ने मंदिर खुलवाकर वहां पूजा करवाई और मेले लगवाया. इसके बाद से ही वहां पर लगातार मेले का आयोजन किया जाता है. 

दाऊजी महाराज का मंदिर
दाऊजी महाराज का यह ऐतिहासिक मंदिर बलदेव नगर में बना हुआ है. मथुरा में यह मंदिर वल्लभ संप्रदाय का सबसे पुराने मंदिर के रूप में इसकी गिनती होती है. मंदिर यमुना नदी के तट पर स्थित है. जानकार लोग मंदिर को लगभग 275 साल पुराना बताते हैं. 

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