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UP Primary Schools: यूपी के प्राथमिक स्कूलों में टीचर स्टूडेंट की आठ जुलाई से डिजिटल अटेंडेंस लगेगी, शिक्षक संघ नाराज

digital attendance in UP Primary Schools : उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में डिजिटल हाजिरी आठ जुलाई यानी सोमवार से अनिवार्य कर दी गई है. इससे प्राथमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारी बेहद नाराज हैं. 

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Amrish Kumar Trivedi|Updated: Jul 06, 2024, 10:48 PM IST

उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित विद्यालयों में आठ जुलाई से शिक्षकों और कर्मचारियों की डिजिटल अटेंडेंस लगेगी. उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों, स्टॉफ और बच्चों की डिजिटल हाजिरी पहले 15 जुलाई से की जानी थी, लेकिन अब इसे एक हफ्ते पहले ही लागू कर दिया गया है. महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को यह निर्देश बेजा है. प्राथमिक स्कूलों के साथ कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में भी छात्रों की उपस्थिति पंजिका और मिड डे मिल रजिस्टर भी डिजिटल तैयार करने को कहा गया है. डिजिटल रजिस्टर का सॉफ्टवेयर टैबलेट के जरिये सभी को उपलब्ध करा दिया गया है. 

कंचन वर्मा ने आदेश में कहा है कि प्राइमरी स्कूलों में सभी शिक्षकों, छात्रों, आने-जाने के समय का 8 जुलाई से डिजिटल पंजीकरण होगा. हालांकि उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ ने फेसियल रिकगनिशन यानी चेहरे को ऑनलाइन कैमरे के सामने देखकर अटेंडेंस दर्ज कराने का विरोध किया है. संघ ने शिक्षकों, शिक्षामित्र और अनुदेशक से जुड़ी समस्याओं का समाधान निकालने को भी कहा है.

परिषदीय विद्यालयों के लिए प्रेरणा पोर्टल का इस्तेमाल विभिन्न शैक्षिक गतिविधियों के लिए पहले ही किया जा रहा है.  सरकार का उद्देश्य है कि सभी गैर शिक्षणेतर गतिविधियों का ऑनलाइन करना है, ताकि सूचनाएं रियल टाइम में केंद्र तक पहुंच जाएं. साथ ही कागजी कार्यवाही से भी बचा जा सके. रजिस्टर वगैरा कहीं लाने ले जाने या खराब होने जैसे झंझटों से भी बचा जा सके. हालांकि शिक्षकों का कहना है कि ऑनलाइन भी उपस्थिति और अन्य कार्यों में दिक्कतें हैं. टैबलेट चार्ज करने, नेटवर्क न होने जैसी समस्याएं भी आ रही हैं.

शिक्षकों की यह भी परेशानी है कि उनसे बच्चों की पढ़ाई के अलावा अन्य काम लिया जा रहा है. उनका कहना है कि क्लास में कम शिक्षकों के बावजूद उन्हें मिड डे मील और अन्य तरह के क्लर्क वाले काम में समय व्यतीत करना पड़ता है. कई बार बीएसए और अन्य कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं. प्रधानों और अन्य पंचायती अफसरों से मुलाकात करने के लिए जाना होता है. बच्चों के स्कूल न आने पर घर घर संपर्क करने को भी कहा जाता है.

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