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Lok Sabha Chunav 2024: मथुरा में हेमा मालिनी लगाएंगी हैट्रिक! 75 साल के फार्मूले ने चौंकाया

Lok Sabha Chunav 2024: मथुरा, उत्तर प्रेदश का प्रमुख लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है. मथुरा एक ऐतिहासिक और धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है.  इसे श्रीकृष्ण जन्म भूमि के नाम से भी जाना जाता है. लोकसभा चुनाव 2024 बेहद नज़दीक हैं. नरेंद्र मोदी की अगुआई में बीजेपी लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने के लिए पूरा ज़ोर लगा रही है. वहीं, विपक्षी दल भी अपनी-अपनी रणनीति में लगे हैं.

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Updated: Apr 03, 2024, 04:36 PM IST

Mathura Lok Sabha Chunav 2024: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने शनिवार (2 मार्च) को लोकसभा चुनावों के लिए अपने 195 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी, जिसमें उत्तर प्रदेश के 51 नामों की भी घोषणा की गई है. बीजेपी ने मथुरा संसदीय सीट से एक बार फिर हेमा मालिनी पर भरोसा जताया है. कांग्रेस को यहां से दूसरा प्रत्याशी ढूंढने के लिए भी मशक्कत करनी पड़ेगी. इंडिया गठबंधन में मथुरा लोकसभा सीट कांग्रेस के खाते में आई थी. जिस पर कांग्रेस ने बॉक्सर विजेंदर सिंह को चुनाव मैदान में उतारा था. अब विजेंदर सिंह बीजेपी में शामिल हो गए हैं.

 

 

उत्तर प्रदेश की पश्चिमी सीमा यमुना किनारे बसे मथुरा संसदीय क्षेत्र की पहचान भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली से है.  इसके पूर्व में हाथरस, दक्षिण पूर्व में आगरा, उत्तर में अलीगढ़ और दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान का जिला भरतपुर हैं. बात करें यहां पर राजनीति की तो इस सीट से कांग्रेस, भाजपा और रालोद चुनाव जीतती रही हैं. बाहरी प्रत्याशी भी चुनाव जीत कर संसद तक पहुंचते रहे हैं. आइए जानते हैं  मथुरा लोकसभा सीट पर  इससे पहले के चुनावों में क्या हाल था.

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75 साल की अलिखित कट-ऑफ उम्र तय 
जब से नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने बीजेपी की कमान संभाली है, तब से चुनाव लड़ने या सरकार में रहने के लिए 75 साल की अलिखित कट-ऑफ उम्र तय हो गई है. उम्र सीमा भाजपा के टिकट का आधार बनी तो मथुरा से कोई नया चेहरा मिल सकता है.

मथुरा लोकसभा सीट का इतिहास
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से एक मथुरा लोकसभा सीट है. आजादी के बाद पहला चुनाव साल 1952 में हुआ और इस सीट पर भी पहली बार चुनाव 1952 में ही हुआ. पहले और दूसरे दोनों चुनावों में इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की, लेकिन साल 1962 से 1977 तक लगातार तीन बार कांग्रेस का कब्जा रहा. आपातकाल के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस हारी और भारतीय लोकदल ने जीत हासिल की. साल 1980 में यह सीट जनता दल के खाते में गई.  जबकि 1984 में कांग्रेस ने एक बार फिर से वापसी की, लेकिन कांग्रेस को अगले चुनाव में फिर से हार का सामना करना पड़ा.

मथुरा लोकसभा 2019 चुनाव परिणाम                 

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मथुरा लोकसभा 2014 चुनाव परिणाम  

साल 1991 में इस सीट पर पहली बार भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली. इसके बाद 1996, 1998 और 1999 में भी भारतीय जनता पार्टी का ही इस सीट पर कब्जा रहा.  हालांकि 2004 में कांग्रेस के मानवेंद्र सिंह ने यहां से वापसी की. साल 2009 में भाजपी के साथ लड़ी रालोद के जयंत चौधरी जीते, लेकिन 2014 में मोदी लहर में अभिनेत्री हेमा मालिनी ने जीत दर्ज की.

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मथुरा सीट के अंतर्गत कुल 5 विधानसभा सीटें
मथुरा लोकसभा के अंतर्गत मथुरा जिले की पांच विधानसभा – छाता, मांट, गोवर्धन, मथुरा एवं बलदेव (सु.) आती हैं. यहां की सांसद भाजपा की श्रीमती हेमा मालिनी है. मथुरा लोकसभा में 1991, 1996, 1998, 1999 एवं 2014 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी.  मथुरा लोकसभा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली पांच विधानसभा में से चार विधानसभा सीटों पर वर्तमान में बीजेपी का कब्जा है. बीजेपी-रालोद  गठबंधन से पश्चिमी यूपी की मथुरा सीट पर कौन चुनाव लड़ेगा इसकी घोषणा नहीं हुई है. अभी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी या रालोद किसी ने भी अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं किया है. अगर मथुरा सीट पर नजर डालें तो इस सीट पर बीजेपी सांसद हेमा मालिनी पिछले दो चुनावों (2014 और 2019) में भारी वोटों के अंतर से जीत चुकी हैं. हालांकि इससे पहले रालोद मुखिया जयंत चौधरी भी साल 2009 के चुनाव में मथुरा सीट से चुनाव जीत चुके हैं, लेकिन साल 2014 के चुनाव में बीजेपी सांसद हेमा मालिनी ने ही जयंत चौधरी को हराया था.

सीट का जातीय समीकरण
आंकड़ों के मुताबिक मथुरा में 18 लाख से ज्यादा मतदाता हैं. सबसे ज्यादा जाट मतदाताओं की संख्या है. जाट मतदाता करीब साढ़े तीन लाख हैं. दूसरे नंबर पर ब्राह्मण मतदाता हैं. ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या लगभग तीन लाख के आसपास है. ठाकुर मतदाताओं की संख्या भी लगभग 3 लाख है. जाटव मतदाता करीब डेढ़ लाख हैं. मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी करीब डेढ़ लाख के बराबर है. वैश्य मतदाता की  बात करें तो मथुरा लोकसभा सीट पर करीब एक लाख हैं. यादव मतदाताओं की संख्या करीब 70 हजार है. अन्य जातियों के करीब एक लाख वोटर हैं. मथुरा लोकसभा सीट पर हुए 1952 और 1957 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी.

जानें मथुरा का इतिहास?
इतिहासकारों के मुताबिक मथुरा में कई मंदिरों को महमूद गजनवी और सिकंदर लोदी ने नष्ट कर दिया था. मुगल बादशाह औरंगजेब ने अपने शासन काल में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था.शाही ईदगाह मस्जिद श्री कृष्ण जन्मभूमि के पास में ही है. शाही ईदगाह को लेकर कोर्ट में मामला भी चल रहा है.एक पक्ष का मानना है कि हिंदू मंदिर के ऊपर मस्जिद का निर्माण किया गया.

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