UP Election Result: बसपा सु्प्रीमो मायावती ने लोकसभा चुनाव में हार के कारणों की समीक्षा शुरू कर दी है. पार्टी को मिली करारी हार के बाद पार्टी में घमासान मचा है. बसपा सुप्रीमो मायावती ने बड़े नेताओं के साथ मीटिंग के बाद पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों से रिपोर्ट तलब की है. सभी सीटों पर मिली शिकस्त का ठीकरा जोनल कोऑर्डिनेटेरों पर फोड़ा जा सकता है, क्योंकि प्रत्याशी चयन का जिम्मा उन्हें ही सौंपा गया था. मायावती रविवार तक लखनऊ में रिपोर्ट के आधार पर बैठक बुलाएंगी. पार्टी सूत्रों की मानें तो नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद की भी दोबारा वापसी हो सकती है.
आनंद की वापसी
बहुजन समाज पार्टी सूत्रों के मुताबिक नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद की भी बसपा में दोबारा वापसी हो सकती है, ताकि नगीना सीट सीट से सांसद चुने गये चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी की ओर दलित युवाओं के झुकाव को रोका जा सके. आकाश ने अपनी चुनावी जनसभाओं में अपने तेवरों से युवाओं को काफी प्रभावित किया था. लगातार उनकी वापसी की मांग की जा रही है. इसके अलावा बसपा, युवाओं के साथ महिलाओं को भी पार्टी के साथ जोड़ने की नई मुहिम शुरू करने की तैयारी है.
माजिद अली BSP से निष्कासित
बहुजन समाज पार्टी से लोकसभा प्रत्याशी माजिद अली को BSP से निष्कासित किया गया है. पार्टी विरोधी गतिविधियों के अलावा भाजपा प्रत्याशी के साथ मिलकर चुनाव लड़ना भी निष्कासन का कारण बना हैं.माजिद अली ने चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी काम किया था.
बसपा के संगठन में बदलाव
बसपा प्रमुख मायावती ने लोकसभा चुनाव में करारी हार के कारणों पर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र से विस्तृत रिपोर्ट लेकर बुधवार को समीक्षा की. उम्मीदवार के चयन में गड़बड़ी से लेकर कोऑर्डिनेटर-जिला अध्यक्षों की निष्क्रियता को बसपा की करारी हार का बड़ा कारण माना जा रहा है. वहीं जिन सीटों पर बसपा को दलित वोट बैंक भी हासिल नहीं हुआ, वहां के जिलाध्यक्षों को हटाया जा सकता है. माना जा रहा है कि संगठन में भी बदलाव किया जाएगा और बड़े पदों पर बैठे कुछ नेताओं को हटाया जाएगा और नए को मौका दिया जाएगा.
बी टीम का ठप्पा
पार्टी सूत्रों के मुताबिक बीजेपी को हराने वाले दल का चयन उनके मूल मतदाताओं ने किया है. इसलिए जनता के बीच ये संदेश पहुंचाना जरुरी है कि यूपी में बीजेपी को शिकस्त देने में बसपा का भी योगदान है. आगे भी पार्टी उसे हार का मुंह दिखा सकती है. बसपा बी टीम का ठप्पा से मुक्ति पाना चाहती है जोकि अभी कठिन दिखाई पड़ रहा है. लोकसभा में हार के कारणों की बात की जाए तो इसमें प्रत्याशियों का चयन बहुत देर से किया गया.
खिसकी बसपा
18वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में बसपा न केवल एक दशक बाद फिर शून्य पर सिमटी बल्कि उसका वोट बैंक भी 10 फीसदी से ज्यादा खिसक गया है. देशभर में भी बसपा का वोट सवा दो करोड़ से घटकर 1.32 करोड़ ही रह गया है. प्रदेश में अकेले लड़ी बसपा को इस बार मात्र 9.39 फीसदी वोट मिले हैं.
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