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'लखीमपुर खीरी केस में 117 में सिर्फ सात की गवाही, सुप्रीम कोर्ट ने उठाया सवाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा को दी जमानत

Ashish Mishra granted Bail: सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा को लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलने से जुड़े मामले में नियमित जमानत दे दी है. हालांकि उन पर कुछ शर्तें भी लगाई गई हैं. 

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former Union Minister Ajay Mishra  son Ashish Mishra in Lakhimpur Kheri Farmers Killing Case
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Amrish Kumar Trivedi|Updated: Jul 22, 2024, 12:54 PM IST

Ashish Mishra gets Bail in Lakhimpur Kheri Case :सुप्रीम कोर्ट ने 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को नियमित जमानत दे दी है. हालांकि करीब तीन साल में 117 में से सिर्फ सात गवाहों से जिरह को लेकर गंभीर सवाल भी खड़ा किया है. शीर्ष अदालत ने जमानत अर्जी मंजूर करने के बाद उन्हें दिल्ली या लखनऊ में रहने का निर्देश दिया है. इससे स्पष्ट है कि वो लखीमपुर खीरी नहीं जा सकेंगे. कोर्ट ने निचली अदालत को मामले की सुनवाई में तेजी लाने और समयसीमा तय करने का निर्देश भी दिया है. कोर्ट ने गवाहों को प्रभावित न करने जैसे कई अन्य शर्तें भी आशीष मिश्रा को जमानत देने के फैसले के साथ लगाई हैं. 

जस्टिस सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने मामले में आरोपी किसानों को भी जमानत दे दी. अदालत ने कहा, सभी हालातों को ध्यान में रखते हुए अंतरिम आदेश को अंतिम आदेश में बदला जाता है. हालांकि कोर्ट ने हैरानी जताई कि 117 गवाहों में से सिर्फ सात से अब तक पूछताछ की गई है. कोर्ट ने मुकदमे की प्रक्रिया में तेजी लाए जाने पर जोर दिया.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को अस्थायी तौर पर जमानत दी थी. दरअसल, नवंबर 2021 का किसानों को कुचलने का मामला काफी संवेदनशील रहा है. इस केस में चार किसान कथित तौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री की गाड़ी से कुचलने में मारे गए थे. जबकि चार अन्य लोग उस घटना के बाद हुई प्रतिक्रिया में. आरोप है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री का बेटा उस गाड़ी को चला रहा था. यह घटना उस वक्त हुई थी, जब किसान अजय मिश्रा और बीजेपी के अन्य नेताओं के लखीमपुर खीरी दौरे का विरोध करने के लिए रास्ते में जुटे थे. 

किसान आंदोलन के दौरान इस केस से पूरे देश में जबरदस्त हंगामा हुआ था. सरकार के लिए इसे संभालना बेहद मुश्किल साबित हुआ था. किसान संगठनों ने भी इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया था. प्रियंका गांधी, राहुल गांधी से लेकर अखिलेश यादव तक ने इस मुद्दे पर सरकार को जबरदस्त तरीके से घेरा था. इसी कवायद में सरकार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा था. 

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