Dehradun News/Mohammad Muzammil: भारत सरकार सभी प्रदेश की सरकारों के साथ मिलकर जनसंख्या पर कंट्रोल पाने के लिए दिन प्रतिदिन काम कर रही है. ऐसे में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की एक तहसील चकराता से एक बड़ा ही अनोखा सामने आया है. जहां ग्राम नराया की प्रधान सुषमा देवी को दो से अधिक संतान होने की वजह से जिलाधिकारी के निर्देश पर प्रधान पद से हटा दिया. ग्राम नराया की प्रधान सुषमा देवी ने पद ग्रहण करने से पहले अपने दो से अधिक बच्चे होने की बात को छिपाया था.
दो से अधिक बच्चों वाले जनप्रतिनिधि के योग्य नहीं
दरअसल, पंचायतीराज अधिनियम 2019 मे हुए संशोधन के बाद उत्तराखंड में दो से अधिक संतानों वाला जनप्रतिनिधि पंचायत का प्रतिनिधित्व करने के योग्य नहीं है. वहीं नराया की ग्राम प्रधान सुषमा देवी ने ग्राम प्रधान का पद ग्रहण करते समय तीन बच्चे होने की बात छुपाई हुई थी. इस मामले में पूर्व ग्राम प्रधान श्रीचंद तोमर ने ग्राम प्रधान सुषमा देवी के विरुद्ध तीन बच्चे होने की शिकायत जिलाधिकारी से की थी. जिलाधिकारी सोनिका ने जांच में आरोपों की सही पुष्टि होने के बाद ग्राम प्रधान को उनके पद से हटा दिया.
विकास कार्यों में धांधली का आरोप
इसके साथ ही पूर्व ग्राम प्रधान श्रीचंद तोमर ने इस ग्राम पंचायत में हुए विकास कार्यों में धांधली का आरोप लगाते हुए जिलाधिकारी से जांच की मांग भी की है. अब अगर इस ग्राम पंचायत में विकास कार्यों की जांच हुई तो प्रधानी गवां चुकी सुषमा देवी की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं.
क्या है पंचायतीराज अधिनियम
यह अधिनियम तत्कालीन सरकार ने 1992 में पारित किया था. इस अधिनियम के साथ ही भारत में पंचायती राज व्यवस्था लागू करने की दिशा में सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया था. 2019 में संशोधन कर उत्तराखंड सरकार ने इसमें कुछ बदलाव किए. 2019 में हुए बदलावों के बाद से ही प्रदेश में यह कानून आया था कि कोई भी व्यक्ति जिसके दो से अधिक जीवित संतान होंगी. वह किसी भी स्तर पर जनप्रतिनिधि पंचायत का प्रतिनिधित्व करने के योग्य नहीं होगा.
यह भी पढ़ें - कैंचीधाम और ऋषिकेश बाईपास पर गडकरी ने उत्तराखंड को दिया तोहफा
यह भी पढ़ें - उत्तराखंड में विशेषज्ञ डॉक्टर की रिटायरमेंट की आयु बढ़ी, धामी सरकार का बड़ा फैसला