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Sri Ram Family Tree: ब्रह्माजी से लेकर भगवान श्रीराम तक ऐसी थी इक्ष्वाकु वंश में जन्मे राम की वंशावली

Sri Ram Vanshavali: भगवान श्रीराम को श्री हरि विष्णु का  अवतार माना जाता है. रामचरिचमानस के अनुसार श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ था. यहां आगे भगवान राम के पूरे वंश की जानकारी दी जा रही है. जानें कैसी है श्रीराम की वंशावली?...  

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Sri Ram Vanshavali
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Sandeep Bhardwaj|Updated: Jan 22, 2024, 07:11 PM IST

Ayodhya Ram Mandir: 22 जनवरी 2024 को को भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या में भव्य राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का समारोह किया गया. जिसके लिए अयोध्या में भव्य रूप से सजाया गया था. भगवान राम हिंदूओं के आराध्य देवता हैं. भगवान राम का जन्म अयोध्या में त्रेया युग में हुआ था. भगवान राम विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं. भगवान राम जन्म सूर्य वंश में हुआ था. राम मंदिर भूमि पूजन के मौके पर आइए जानते हैं भगवान श्रीराम की वंश परंपरा, ब्रह्रााजी से लेकर भगवान राम तक...

ब्रह्माजी के पुत्र का नाम था मरीचि और मरीचि के पुत्र कश्यप हुए. इसके बाद कश्यप के पुत्र विवस्वान हुए. जब विवस्वान हुए तभी से सूर्यवंश का आरंभ माना जाता है. विवस्वान से पुत्र वैवस्वत मनु हुए. वैवस्वत मनु के दस पुत्र हुए जिनमें (इल, इक्ष्वाकु, कुशनाम (नाभाग), अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यन्त, करुष, महाबली, शर्याति, पृषध). भगवान राम का जन्म वैवस्वत मनु के दूसरे पुत्र इक्ष्वाकु के कुल में हुआ था. जैन धर्म के तीर्थंकर निमि भी इसी कुल में पैदा हुए थे. 

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इक्ष्वाकु से सूर्यवंश में वृद्धि होती चली गई. इक्ष्वाकु वंश में कई पुत्रों का जन्म हुआ जिनमें विकुक्षि, निमि और दण्डक पुत्र जन्म हुआ. समय के साथ धीरे-धीरे यह वंश परंपरा आगे की तरफ बढ़ती गई. जिसमें हरिश्चन्द्र रोहित, वृष, बाहु और सगर भी पैदा हुए. अयोध्या नगरी की स्थापना इक्ष्वाकु के समय ही हुई. इक्ष्वाकु कौशल देश के राजा थे. जिसकी राजधानी साकेत थी, जिसे अयोध्या कहा जाता है. रामायण में गुरु वशिष्ठ ने राम के कुल का विस्तार पूर्वक वर्णन किया है. 

इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि, कुक्षि के पुत्र विकुक्षि हुए. इसके बाद में विकुक्षि की संतान बाण हुई और बाण के पुत्र अनरण्य हुए. समय के साथ यह क्रम चलता रहा  जिसमें अनरण्य से पृथु और  पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ. त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए. धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था. युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए और मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ. सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित। ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए. 

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भरत के पुत्र असित के होने के बाद फिर असित के पुत्र सगर का जन्म हुआ. राजा सगर के पुत्र असमंज हुए. इसी तरह से असमंज के पुत्र अंशुमान हुए फिर अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए. दिलीप से प्रतापी भगीरथ पुत्र हुए जिन्होंने ही मां गंगा को कठोर तप के बल पर पृथ्वी पर लाने में सफल हुए थे. भगीरथ के पुत्र ककुत्स्थ हुए और ककुत्स्थ के पुत्र रघु का जन्म हुआ. 

रघु के जन्म होने पर ही इस वंश का नाम रघुवंश पड़ा क्योंकि रघु बहुत ही पराक्रमी और ओजस्वी नरेश हुए थे. रघु से उनके पुत्र प्रवृद्ध हुए. प्रवृद्ध से होते होते कई वंश चलते गए. जिसमें नाभाग हुए फिर नाभाग के पुत्र अय हुए. अज से पुत्र दशरथ हुए और दशरथ अयोध्या के राजा बने. दशरथ ने चार पुत्रों को जन्म दिया. भगवान राम, भरत, लक्ष्मण और शुत्रुघ्न हुए. इस प्रकार भगवान राम का जन्म ब्रह्राजी की 67 पीढ़ियां में हुआ. 

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