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जब लखनऊ से लगातार 4 चुनाव हारे अटल, फिर पहला चुनाव जीतते ही जो रिकॉर्ड बनाया वो आज भी कायम

Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary: तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी अपनी हाजिर जवाबी के लिए जाने जाते थे. अटल जी के बारे में कहा जाता है कि बेशक वह कुंवारे थे, लेकिन प्रेम करने से बच नहीं पाए. 

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Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary
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Amitesh Pandey |Updated: Aug 16, 2024, 12:43 PM IST

Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज पुण्‍यतिथि है. भारत रत्‍न अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी वाकपटुता से विपक्ष को भी कायल बना लेते थे. अटल बिहारी वाजपेयी पूरे देश में लोकप्रिय नेता थे, हालांकि उनका लखनऊ से गहरा नाता था. यही वजह रही कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी ने लखनऊ को ही सियासी कर्मभूमि चुना. लगातार चार चुनाव हारने के बाद भी अटल बिहारी ने लखनऊ को नहीं छोड़ा. वहीं, जब चुनाव जीते तो उनके बनाए रिकॉर्ड आज भी किसी ने तोड़ नहीं पाया. 

लगातार चार बार चुनाव हारे 
अटल जी ने पहली बार 1952 में लखनऊ से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उन्‍हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद जनसंघ ने अटल जी को 1957 में लखनऊ समेत मथुरा और बलरामपुर से चुनाव लड़ाया. इस चुनाव में अटल जी बलरामपुर से चुनाव जीत गए, लेकिन लखनऊ और मथुरा ने उन्‍हें एक बार फ‍िर नकार दिया था. इसके बाद वह 1962 में फ‍िर लखनऊ से चुनाव लड़े. इस बार भी उन्‍हें हार का सामना करना पड़ा. 1967 में चौथी बार लखनऊ से लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए. 

लखनऊ मेरा घर, रिश्‍ता टूटने वाला नहीं 
लगातार चार बार मिली हार के बाद अटल बिहारी 1991 में लखनऊ से प्रत्‍याशी बनाए गए. इस बार जब वह लखनऊ प्रत्‍याशी बनकर गए तो उन्‍होंने कहा कि आप लोगों ने क्‍या सोचा था, मुझसे पीछा छूट जाएगा यह तो होने वाला नहीं. उन्‍होंने कहा था कि लखनऊ तो मेरा घर है. इतनी आसानी से रिश्‍ता टूटने वाला नहीं है. मेरा नाम भी अटल है. देखता हूं कि कब तब मुझे सांसद नहीं बनाओगे. इस चुनाव में लखनऊ की जनता ने अटल को सांसद बनाकर दिल्‍ली भेजा. 

...तो इसलिए नहीं की शादी 

तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी अपनी हाजिर जवाबी के लिए भी जाने जाते थे. अटल जी के बारे में कहा जाता है कि बेशक वह कुंवारे थे, लेकिन प्रेम करने से बच नहीं पाए. अटल जी की जिंदगी में भी एक महिला थी, जिसका नाम राजकुमारी कौल था. राजकुमारी कौल और अटल बिजारी वाजपेयी अच्छे दोस्त थे. समय के साथ दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई. वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर ने अपनी किताब में भी इस बात का जिक्र भी किया है. साल 1940 में ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में अटल बिहारी वाजपेयी और राजकुमारी कौल की मित्रता हुई थी. 

प्‍यार का इजहार नहीं कर सके 
वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर ने लिखा है कि अटल जी ने अपने प्यार का इजहार करने के लिए राजुकमारी कौल को एक प्रेम पत्र लिखा था, लेकिन राजकुमारी कौल ने उनके इस पत्र का जवाब नहीं दिया. अटल जी ने जवाब के इंतजार में शादी ही नहीं की. बाद में अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति में आ गए और राजकुमारी कौल के पिता ने उनकी शादी प्रोफेसर ब्रिज नारायण कौल से करा दी. 

परिजनों का ये है कहना 
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अटल बिहारी के परिजन बताया करते थे कि पूर्व प्रधानमंत्री में बचपन से ही देश सेवा करने का एक अलग सा जुनून था, वे पूरे देश को अपना परिवार समझते थे और पूरे देश को अपना घर. उनकी शादी को लेकर कहा जाता है कि अटल जी देश सेवा के कार्यों में इस कदर फंस गए कि उन्हें शादी करने का मौका ही नहीं मिला. एक साक्षात्‍कार में अटल जी ने खुद कहा था कि देश और देश के करोड़ों लोगों का जो परिवार है, उनकी जिम्मेदारियों निभाते हुए इस कदर उलझा कि कभी शादी करने का मुहूर्त ही नहीं निकला. 

अटल बिहारी वाजपेयी 

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