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न डॉक्टर-स्टॉफ और न बिजली, हाथरस ट्रॉमा सेंटर में 2 घंटे तक इलाज मिल जाता तो बच जाती कइयों की जान

Hathras Stampede : हाथरस हादसे के घायलों को सिकंदराराऊ के ट्रामा सेंटर ले जाया गया. पर यहां का हाल ऐसा था कि 2 घंटे के इंतजार के बाद भी घायलों को ऐसे ही कराहते रहना पड़ा और हारकर उनको दूसरे अस्पताल में रेफर किया गया.

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Hathras Stampede
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Zee Media Bureau|Updated: Jul 03, 2024, 11:37 AM IST

Hathras Stampede: हाथरस में साकार विश्वहरि सत्संग हादसे के बाद घायलों को सिकंदराराऊ के ट्रामा सेंटर ले जाया गया, पर वहां की हालत ऐसी थी कि न तो डॉक्टर ही थे और न ही स्टाफ. हाथरस सिकंदरमऊ में ट्रामा सेंटर में करीब दो घंटे तक चिकित्सीय स्टाफ मौके पर नहीं पहुंचा तो घायलों को रेफर किया गया. समय पर उपचार नहीं मिलने पर कई लोगों ने दम तोड़ दिया.

 सिकंदराराऊ ट्रामा सेंटर
हाथरस घटना के बाद भी हाथरस सिकंदराराऊ के ट्रामा सेंटर तैयार नहीं था. अस्पताल में न ही चिकित्सक थे और न ही पर्याप्त स्टाफ. समय पर उपचार नहीं मिलने से कई लोगों की जान चली गई. जानकारी के मुताबिक ट्रॉमा में ऑक्सीजन भी नहीं थी और ट्रामा सेंटर में बिजली भी कटी हुई थी.

न बिजली और न डॉक्टर
हादसे के बाद टॉमा सेंटर पर करीब 2.45 बजे शवों और घायलों का पहुंचना शुरू हो गया था. पर यहां पर न तो  चिकित्सक थे और न ही पैरामेडिकल स्टाफ मौजूद था. करीब दो घंटे तक चिकित्सीय स्टॉफ मौके पर नहीं पहुंच सका. अस्पताल में बिजली भी नहीं थी. घायल जब पहुंचे तो उनको ऑक्सीजन की जरुरत थी पर वो भी नसीब नहीं हुई. बिजली नहीं होने से कमरों में अंधेरा था, पंखे बंद थे. बिजली के लिए जेनरेटर चलाने की कोशिश की गई पर उसमें तेल नहीं था. घायलों को फौरन इलाज नहीं मिला जिसके कारण कई लोगों ने दम तोड़ दिया.

घायलों को नहीं मिला समय पर इलाज

जनरेटर चलाने की कोशिश की गईं तो उसमे तेल ही नहीं था. घटना के बाद तक भी डॉक्टर 2 घंटे तक अस्पताल नहीं पहुंचे थे. जिसके बाद घायलों को ट्रामा सेंटर से एटा अस्पताल रेफर किया गया.  घायल कराहते हुए अस्पताल पहुंचे पर समय पर इलाज नहीं मिलने से दम तोड़ दिया.

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