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शहादत को नमन, शहीद शुभम गुप्ता के परिवार को यूपी सरकार ने की 50 लाख की मदद

राजौरी एनकाउंटर में पांच फौजियों की शहादत पर देश गमगीन है. उन पांच शहीदों में से एक कैप्टन शुभम गुप्ता आगरा के रहने वाले थे. यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री उनके घर पहुंचे और 50 लाख की सहायता राशि सौंपी.

शहादत को नमन, शहीद शुभम गुप्ता के परिवार को यूपी सरकार ने की 50 लाख की मदद
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Lalit Rai|Updated: Nov 24, 2023, 02:56 PM IST

Captain Shubhm Gupta News:  किसी फौजी की शहादत का मोल नहीं है. उसे पैसों-रुपयों के जरिए अदा भी नहीं किया जा सकता. लेकिन आर्थिक दिक्कतें भी परिवार के सामने आती हैं. राजौरी केस में शहीद आगरा के रहने वाले कैप्टन शुभम गुप्ता के घर यूपी सरकार में मंत्री योगेंद्र उपाध्याय पहुंचे. उन्होंने शुभम के माता पिता को सांत्वना देने के साथ 50 लाख की सहायता राशि दी. इसके साथ ही परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया. यही नहीं आगरा शहर में एक सड़क का नाम कैप्टन शुभम गुप्ता के नाम पर रखा जाएगा और इसके साथ ही उनके पैतृक गांव में स्मारक भी बनेगा.

राजौरी एनकाउंटर में शहीद हुए थे शुभम

बता दें कि शुभम गुप्ता के पिता आगरा के ही एक अदालत में डीजीसी हैं. और उनकी मां हाउसवाइफ.इसी वर्ष परिवार वाले उनकी शादी की तैयारी में व्यस्त थे. घर में खुशी का माहौल था. लेकिन राजौरी एनकाउंटर में उनके शहीद होने की जानकारी परिवार को मिली तो खुशी मातम बदल गई. शुभम गुप्ता को 2015 में सेना सेवाओं के लिए चुना गया था. 2018 में 9 पैरा स्पेशल फोर्स के साथ कमीशन मिला और उन्हें जम्मू-कश्मीर में तैनात किया गया। उनकी पहली पोस्टिंग उधमपुर में हुई थी.

मुठभेड़ में मारा गया था कारी

राजौरी जिले के दरमसाल में लश्कर के आतंकियों के साथ मुठभेड़ हुई थी. उस मुठभेड़ में लश्कर का टॉप कमांडर कारी भी मारा गया है. कारी पाकिस्तान का रहने वाला था और उसने अफगानिस्तान में भी ट्रेनिंग ली थी.  बुधवार की रात यह जानकारी मिली की लश्कर कमांडर अपने कुछ मददगारों के साथ जंगल में छिपा हुआ है. जानकारी मिलने पर मौके पर कर्नाटक के रहने वाले कैप्टन एम वी प्रांजल, हवलदार एम वी आजाद(जम्मू-कश्मीर), लांस नायक संजय बिष्ट(उत्तराखंड) पैरा ट्रूपर सचिन लौर(अलीगढ़, यूपी) पहुंचे और आतंकियों से मोर्चा लिया.  करीब 36 घंटे की मुठभेड़ के बाद लश्कर का आतंकी तो मार गिराया गया. लेकिन सेना के पांच जांबाज भी शहीद हो गए. सेना का कहना है कि शहीदों की शहादत बर्बाद नहीं जाने देंगे. जान की परवाह ना कर इन जांबाजों मे सर्वोच्च बलिदान दिया है जिस पर फौज को गर्व है.

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