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UP में डॉक्टर मरीज के इलाज से नहीं कर सकेंगे इनकार, किया तो देना होगा 1 करोड़ जुर्माना, जानें पूरा नियम

UP Doctors: उत्तर प्रदेश में 2019 के बैच में उच्च विशिष्टताओं में डीएम व एमसीएच करने वाले कुल 138 डॉक्टर थे. इन डॉक्टरों में 10 उत्तीर्ण नहीं हो पाए. वहीं, दो फेलोशिप प्रोग्राम से जुड़े हुए हैं.

UP में डॉक्टर मरीज के इलाज से नहीं कर सकेंगे इनकार, किया तो देना होगा 1 करोड़ जुर्माना, जानें पूरा नियम
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Zee News Desk|Updated: Dec 05, 2022, 11:29 AM IST

UP News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार हेल्थ सेक्टर को मजबूत बनाने के लिए भरसक प्रयास कर रही है. इसका जीता जागता उदाहरण हाल ही में देखने को मिला. मामला सुपर स्पेशलिटी डॉक्टरों की प्रदेश में अनिवार्य दो साल की सर्विस से जुड़ा हुआ है. सरकार ने सुपर स्पेशलिटी वाले डॉक्टरों के लिए प्रदेश में दो साल सेवा देना अनिवार्य कर दिया है. ऐसा न करने पर संबंधित डॉक्टरों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान भी है. आइये आपको विस्तार से बताते हैं इस मामले के बारे में.

उत्तर प्रदेश में 2019 के बैच में उच्च विशिष्टताओं में डीएम व एमसीएच करने वाले कुल 138 डॉक्टर थे. इन डॉक्टरों में 10 उत्तीर्ण नहीं हो पाए. वहीं, दो फेलोशिप प्रोग्राम से जुड़े हुए हैं. इन सबके बाद 126 डॉक्टर ऐसे हैं जिनकी राज्य के अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों में पोस्टिंग होनी थी.

इन डॉक्टरों के लिए जब से प्रदेश में दो साल अनिवार्य सेवा का नियम बनाया गया है, तब से तमाम समस्याएं देखने और सुनने को मिल रही हैं. इन डॉक्टरों से बकायदा बान्ड भरवाया जाता है कि आप दो साल प्रदेश में सेवा देंगे. इतना ही नहीं उन्हें ओरिजिनल सर्टिफिकेट भी जमा कराने होते हैं. इस संबंध में जब सुपर स्पेशियलिटी क्षेत्र के डॉक्टरों की पोस्टिंग की काउंसलिंग हुई तो तीन डॉक्टर नदारद मिले. इन तीनों डॉक्टरों ने काउंसिलिंग में गैरहाजिर रहने की कोई वजह भी नहीं बताई.

गैरहाजिर रहने के बावजूद डॉक्टरों की महानिदेशालय ने अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों में पोस्टिंग कर दी. महानिदेशालय को उम्मीद थी कि ये सभी डॉक्टर तय समय में अपनी जिम्मेदारी समझते हुए मेडिकल कॉलेज ज्वाइन कर लेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. डा. निहार संदीप देसाई को पीजीआई लखनऊ में क्लीनिकल हिमैटोलॉजी में, डा. अमित कुमार देओल को झांसी मेडिकल कॉलेज के न्यूरो सर्जरी विभाग और डा. आशुतोष कुमार कर्ण को सैफई आयुर्विज्ञान संस्थान में पोस्ट किया गया, लेकिन वे नहीं पहुंचे.

एक हफ्ता बीतने के बाद भी ये डॉक्टर अपनी तैनाती पर नहीं पहुंचे. चर्चा यह भी है कि इन डॉक्टरों ने किसी दूसरे राज्य में प्रैक्टिस शुरू कर दी है. अब इनके पास एक ही विकल्प बचा है कि वे एक महीने के भीतर अपनी तैनाती पर पहुंचे. अगर ऐसा नहीं होता है तो तीनों डॉक्टरों को नियम के हिसाब से सरकारी खजाने में 1 करोड़ रुपये जमा कराने होंगे. इतना ही नहीं उनके खिलाफ और भी कानूनी कार्रवाई हो सकती है साथ ही ओरिजिनल सर्टिफिकेट भी सरकार से ही लेना है.

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