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Uttarakhand Tunnel Rescue: सुरंग बनाएं या घर जाएं? टनल से निकलकर अब मजदूरों के सामने नया 'सिरदर्द'

Uttarkashi Tunnel Rescue: अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद राज्य प्रशासन सहूलियत के हिसाब से उनको घर पहुंचाने में जुट गया है.  झारखंड और बिहार के मजदूर आज दिल्ली पहुंच कर राज्य के भवन में रात को रुक सकते है. वे कल सुबह विमान से अपने-अपने गंतव्य के लिए रवाना हो जाएंगे. 

Uttarakhand Tunnel Rescue: सुरंग बनाएं या घर जाएं? टनल से निकलकर अब मजदूरों के सामने नया 'सिरदर्द'
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Rachit Kumar|Updated: Nov 30, 2023, 10:52 PM IST

Trapped Workers Tunnel Rescue Video: उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को मंगलवार रात को निकाल लिया गया था. लेकिन अब उनके लिए एक और सिरदर्द पैदा हो गया है. परेशानी ये है कि मजदूर अपने घर वापस चले जाएं, नौकरी छोड़ दें या सुरंग बनाते रहें. हालांकि कुछ मजदूर अपने घरों के लिए रवाना हो भी गए हैं. उनके परिवार वाले भी यही ख्वाहिश है. 

अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद राज्य प्रशासन सहूलियत के हिसाब से उनको घर पहुंचाने में जुट गया है.  झारखंड और बिहार के मजदूर आज दिल्ली पहुंच कर राज्य के भवन में रात को रुक सकते है. वे कल सुबह विमान से अपने-अपने गंतव्य के लिए रवाना हो जाएंगे. जबकि उत्तर प्रदेश के कुछ श्रमिक सड़क के रास्ते ही निकल गए हैं. उत्तराखंड की पुलिस एस्कॉर्ट करके उनको सड़क के रास्ते छोड़ने जा रही है. वहीं बंगाल के मजदूर भी विमान से रवाना हो रहे हैं. उत्तराखंड के श्रमिकों को भी सड़क के रास्ते एस्कॉर्ट करके छोड़ा जाएगा.

'मैंने छुट्टी की दी है एप्लिकेशन'

वहीं बिहार के एक मशीन संचालक ने कहा, 'मैंने घर वापस जाने के लिए छुट्टी का आवेदन पत्र भर दिया है. हमें नहीं पता कि निर्माण कार्य फिर से कब शुरू होगा.' एक अन्य श्रमिक ने कहा कि उसकी मां चाहती है कि वह सुरंग बनाने का काम छोड़ दे. उन्होंने कहा, 'हम ऐसी परिस्थितियों में काम करते हैं...यह खतरनाक है.' एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक, सुरंग के सुरक्षा ऑडिट के बाद ही निर्माण कार्य फिर से शुरू किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि फंसे हुए श्रमिकों को निकालने के लिए पहाड़ के ऊपरी हिस्से से लगभग 45 मीटर तक ड्रिल की गई थी और मलबा अभी भी सुरंग में पड़ा हुआ है. 

पिछले दो साल से सिलक्यारा टनल साइट पर काम कर रहे ओडिशा के एक मजदूर ने गुरुवार को कहा, 'हमें नहीं पता कि हमें वहीं रुकना चाहिए या घर जाना चाहिए.' सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की निगरानी में राष्ट्रीय राजमार्ग एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड ने चार साल पहले इस सुरंग का निर्माण कार्य शुरू किया था. इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य चार धाम मार्ग के नेशनल हाइवे पर यमुनोत्री और गंगोत्री के बीच की दूरी को 28 किलोमीटर से घटाकर 4.5 किलोमीटर करना है.

'ठेकेदार ने दो दिया का दिया आराम'

एक मजदूर ने बुधवार को कहा कि उसके ठेकेदार ने उसे दो दिन का आराम दिया है. उत्तर प्रदेश के एक अन्य मजदूर ने कहा, 'हमें एक से दो दिन आराम करने के लिए कहा गया है लेकिन हम अपनी छुट्टियां बढ़ाने की योजना बना रहे हैं.' असम के एक मजदूर ने कहा, "भोजन का खर्च हमारी कंपनी उठाती है.

झारखंड के एक मजदूर ने कहा, "मेरे ठेकेदार ने मुझे दो से तीन दिन तक रुकने के लिए कहा है, लेकिन मैं कुछ दिन के लिए घर जाने की योजना बना रहा हूं.'' उन्होंने कहा कि उनके 15 सहयोगियों में से चार पहले ही घर लौट गये थे जबकि तीन सुरंग में फंस गए थे. सुरंग में फंसे 41 मजदूरों में से एक उत्तर प्रदेश के अखिलेश सिंह भी थे.

सिंह के साथ एक ही कमरे में रहने वाले उसके साथी ने बताया, 'सुरंग का एक हिस्सा ढहने के एक दिन बाद उनके चाचा आए और उनका सामान ले गए.' यह पूछे जाने पर कि अब वह क्या करेंगे, उन्होंने कहा, 'मैं नौकरी नहीं छोड़ूंगा लेकिन अगर मुझे छुट्टी मिलेगी तो मैं अपने घर जाऊंगा.'

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