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बैंकों में पड़े 35 हजार करोड़ रुपए, जिनके कोई नहीं हैं दावेदार; कहीं आपके पुरखों के तो नहीं?

Bank Money: आरबीआई ने इस प्लेटफॉर्म को उपभोक्ताओं के लिए एक ही स्थान पर कई बैंकों में बिना दावे वाली जमा की तलाश आसान करने के लिए लॉन्च किया है. फिलहाल ग्राहक पोर्टल पर सूचीबद्ध सात बैंकों में मौजूद अपनी लावारिस जमा के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं.

बैंकों में पड़े 35 हजार करोड़ रुपए, जिनके कोई नहीं हैं दावेदार; कहीं आपके पुरखों के तो नहीं?
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Gaurav Pandey|Updated: Aug 18, 2023, 10:40 PM IST

Unclaimed Money In Bank: लोग अपना पैसा सुरक्षित रखने के लिए बैंक के पास जाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि मौजूदा समय में देश के बैंकों में कुल 35 हजार करोड़ रुपए लावारिश पड़े हैं. यानी इसका मतलब यह हुआ कि इनका कोई दावेदार ही नहीं है. ये बेनामी संपत्ति हैं. अब इस पैसे के सेटलमेंट के लिए सरकार ने बड़ा प्लान तैयार कर लिया है. अब लोग भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा जारी किए गए (अनक्लेम्ड डिपॉजिट- गेटवे टू एक्सेस इंफॉर्मेशन) नामक वेब पोर्टल पर इसके बारे में जान सकते हैं कि क्या उनके पुरखों का पैसा तो नहीं पड़ा है. 

दरअसल, इन पैसों का पता लगाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को एक ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च कर दिया है. RBI के अनक्लेम्ड डिपॉजिट- गेटवे टू एक्सेस इंफॉर्मेशन पोर्टल (UDGAM Portal) के जरिए एक स्थान पर तमाम बैंकों में जमा बिना दावे की लावारिश रकम की तलाश की जा सकती है. जानकारी के मुताबिक अभी दसिर्फ 7 बैंकों में जमा राशि का पता चलेगा. इस पोर्टल को रिजर्व बैंक सूचना प्रौद्योगिकी प्राइवेट लिमिटेड (REBIT) और भारतीय वित्तीय प्रौद्योगिकी और संबद्ध सेवाओं (IFTCS) ने मिलकर बनाया है.

आरबीआई ने इस प्लेटफॉर्म को उपभोक्ताओं के लिए एक ही स्थान पर कई बैंकों में बिना दावे वाली जमा की तलाश आसान करने के लिए लॉन्च किया है. फिलहाल ग्राहक पोर्टल पर सूचीबद्ध सात बैंकों में मौजूद अपनी लावारिस जमा के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं. बता दें कि  इस बारे में काफी पहले ही प्लान तैयार कर लिया गया था. जिसके बारे में अब बता दिया गया है.

बता दें कि ऐसे सेविंग्स और करंट अकाउंट जिनमें 10 सालों से कोई ट्रांजैक्शन नहीं हुआ है, या फिर ऐसे फिक्स्ड या रेकरिंग डिपॉजिट जिसे मैच्योरिटी के 10 सालों के अंदर क्लेम नहीं किया गया है, वो अनक्लेम्ड डिपॉजिट में आ जाते हैं. बैंकों को ये अमाउंट आरबीआई के Depositor Education and Awareness Fund को भेजना होता है. फिर यही पैसे बेनामी पैसे कहलाते हैं.

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