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समलैंगिक विवाह को लेकर अपने रुख पर कायम सुशील मोदी, बोले- ‘भारतीय समाज इसे स्वीकारने को तैयार नहीं’

Same-Sex Marriage: सुशील मोदी ने मंगलवार को संसद के बाहर कहा, 'समान-लिंग विवाह भारत की संस्कृति और परंपरा के लिए उपयुक्त नहीं होगा. लेकिन कुछ वामपंथी और लिबरल कार्यकर्ता सुप्रीम कोर्ट (एससी) गए और समलैंगिक विवाह को वैध बनाने के लिए कहा.'

समलैंगिक विवाह को लेकर अपने रुख पर कायम सुशील मोदी, बोले- ‘भारतीय समाज इसे स्वीकारने को तैयार नहीं’
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Zee News Desk|Updated: Dec 20, 2022, 03:51 PM IST

Sushil Modi News: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने समलैंगिक विवाह पर अपना रुख दोहराते हुए मंगलवार को कहा कि भारतीय समाज समलैंगिक विवाह को स्वीकार करने के लिए 'तैयार नहीं' है और यह भारत की संस्कृति और परंपरा के लिए अनुचित है.

सुशील मोदी ने मंगलवार को संसद के बाहर कहा, 'समान-लिंग विवाह भारत की संस्कृति और परंपरा के लिए उपयुक्त नहीं होगा. लेकिन कुछ वामपंथी और लिबरल कार्यकर्ता सुप्रीम कोर्ट (एससी) गए और समलैंगिक विवाह को वैध बनाने के लिए कहा. सुशील मोदी ने आज संसद के बाहर कहा कि यह उचित नहीं होगा कि दो जज एससी में बैठें और इस बारे में फैसला करें.'

'इस मामले को संसद में चर्चा की जानी चाहिए'
भाजपा सांसद के अनुसार इस मामले को अदालत में पहुंचने से पहले सदस्यों के बीच संसद में चर्चा की जानी चाहिए. उन्होंने कहा, 'समाज इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है. इस पर पहले संसद में और लोगों के बीच चर्चा होनी चाहिए. एक और बात जो मैंने कही वह यह है कि सभी लड़कियों की शादी की उम्र एक समान होनी चाहिए चाहे उनका धर्म कुछ भी हो.'

बता दें संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान, सोमवार को, सुशील मोदी ने देश के सर्वोच्च विधायी निकाय में समलैंगिक विवाह के खिलाफ बात की थी और सरकार से ऐसे किसी भी कदम का जोरदार विरोध करने का आग्रह किया.

'समलैंगिक विवाह देश में निजी कानूनों के नाजुक संतुलन को बिगाड़ देगा'
सुशील मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में कहा, ‘भारत में, मुस्लिम पर्सनल लॉ या किसी भी संहिताबद्ध वैधानिक कानूनों जैसे किसी भी व्यक्तिगत कानून में समलैंगिक विवाह को न तो मान्यता दी जाती है और न ही स्वीकार किया जाता है. समलैंगिक विवाह देश में निजी कानूनों के नाजुक संतुलन को बिगाड़ देगा.‘

बिहार के सांसद ने कहा कि समलैंगिक संबंध स्वीकार्य हैं, लेकिन समलैंगिक जोड़ों के बीच विवाह की इजाजत देने से समाज के नाजुक संतुलन में समस्याएं पैदा होंगी. मोदी ने सामाजिक और सांस्कृतिक दोनों संदर्भों में समान-लिंग विवाहों को वैध बनाने पर आपत्ति जताई और कहा कि हालांकि इस तरह के रिश्तों को देश में गैर-अपराध कर दिया गया है, लेकिन विवाह अभी भी एक पवित्र संस्था है, समान-लिंग वाले जोड़े का एक साथ रहना एक बात है, लेकिन उन्हें कानूनी दर्जा देना अनुशंसित नहीं है.

(इनपुट - ANI)

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