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संक्रमित खून चढ़ने से पूर्व सैनिक को हो गया था HIV, मुआवजे को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये आदेश

Air Force :  सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल पूर्व सैनिक की याचिका पर दिए गए अपने फैसले में भारतीय वायुसेना को मुआवजे के रूप में लगभग 1.5 करोड़ रुपये देने का निर्देश खारिज कर दिया गया है.  

Supreme Court
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KIRTIKA TYAGI|Updated: Apr 12, 2024, 08:44 PM IST

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में इन्फेक्टड खून चढ़ाने के चलते हुई लापरवाही में ‘HIV’ का शिकार हुए एक पूर्व सैनिक को 1.54 करोड़ रुपये का मुआवजा देने वाली याचिका खारिज कर दी है. दरअसल, भारतीय वायुसेना ने केस को पुनर्विचार करने की मांग की थी. जिसके बाद जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस पी बी वराले की पीठ ने कहा कि पिछले साल 26 सितंबर को सुनाए फैसले में ऐसा कहीं नहीं लिखा गया है, कि इस फैसले के बारे में दोबारा से पुनर्विचार किया जाए.

 

 

‘ऑपरेशन पराक्रम’ के दौरान हुए बीमार 

दरअसल, पूर्व सैनिक भारतीय संसद पर हुए आतंकी हमले के बाद ‘ऑपरेशन पराक्रम’ के दौरान बीमार हो गया थे, और उन्हें सांबा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उन्हें एक यूनिट खून चढ़ाया गया था. जिस दौरान यह हादसा हुआ.

 

लगभग 1.5 करोड़ रुपये का मुआवजा

अदालत ने पिछले साल 26 सितंबर को पूर्व सैनिक की याचिका पर दिए गए अपने फैसले में भारतीय वायुसेना को उन्हें मुआवजे के रूप में लगभग 1.5 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था, जिसे अब खारिज कर दिया गया है.

 

पुनर्विचार वाली याचिका खारिज

पीठ ने तीन अप्रैल के अपने आदेश में कहा, हमने 26 सितंबर, 2023 के फैसले और आदेश के बारे में दोबारा विचार करने के समर्थन में याचिका पर स्टडी की, लेकिन फैसले में ऐसा कहीं नहीं लिखा कि इस पर दोबारा विचार किया जाए, इसलिए कोर्ट ने सांबा के सैन्य अस्पताल के कमांडिंग ऑफिसर की दायर पुनर्विचार वाली याचिका को खारिज कर दिया.

 

अदालत ने सितंबर में सुनाए अपने फैसले में कहा था कि अपीलकर्ता यानी पूर्व सैनिक मुआवजे का हकदार है. मेडिकल लापरवाही बरते जाने की वजह से मुआवजे के रूप में 1,54,73,000 रुपये मिलने चाहिए. साथ ही कोर्ट ने कहा था कि यह राशि वायुसेना छह महीनों के अंदर अपीलकर्ता को दे दी जाऐगी. बता दें, कि अदालत ने वायुसेना के पूर्व कर्मी की अपील पर यह फैसला सुनाया था, जिन्होंने मुआवजे के लिए उनके दावे को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग को खारिज किए जाने के आदेश को चुनौती दी थी.

 

 

 

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