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RG Kar Case: बंगाल में डॉक्टरों की दुर्दशा और लाइव स्ट्रीमिंग पर सुप्रीम कोर्ट में भिड़े कपिल सिब्बल-इंदिरा जयसिंह, CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने क्या कहा?

RG Kar Hospital Rape And Murder Case: जूनियर डॉक्टरों की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच के सामने ममता बनर्जी सरकार के वकील कपिल सिब्बल पर बड़ा आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सिब्बल उन डॉक्टरों को "शैतान" बना रहे हैं, जो आरजी कर रेप-मर्डर केस के बाद आंदोलन पर बैठे हैं.

RG Kar Case: बंगाल में डॉक्टरों की दुर्दशा और लाइव स्ट्रीमिंग पर सुप्रीम कोर्ट में भिड़े कपिल सिब्बल-इंदिरा जयसिंह, CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने क्या कहा?
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Keshav Kumar|Updated: Sep 17, 2024, 06:58 PM IST

Supreme Court Hearing: सुप्रीम कोर्ट में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी लेडी डॉक्टर से बलात्कार और हत्या मामले की सुनवाई के दौरान इंदिरा जयसिंह और कपिल सिब्बल ने बंगाल में डॉक्टरों की दुर्दशा पर तीखी बहस की. बंगाल समेत देश के अधिकांश लोगों की निगाहें मंगलवार को कोर्ट रूम में लगी रहीं. 

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच में सुनवाई

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच के सामने हो रही सुनवाई में कई बार दिग्गजों की बहस ने कड़ा रुख ले लिया. जूनियर डॉक्टरों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि ममता बनर्जी सरकार को आंदोलनकारियों की बात मानने से इनकार नहीं करना चाहिए. उन्होंने राज्य सरकार के वकील कपिल सिब्बल पर आरोप लगाया कि वे उन डॉक्टरों को "शैतान" बना रहे हैं, जिन्होंने 9 अगस्त को कोलकाता में सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में अपने सहकर्मी के बलात्कार और हत्या के बाद से काम करना बंद कर दिया है.

सुनवाई की शुरुआत से ही कपिल सिब्बल पर हावी रहीं इंदिरा जयसिंह

जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वे राज्य और जूनियर डॉक्टरों के बीच विश्वास कायम करने के लिए बेंच के सामने पेश हुई थीं और चाहती थीं कि डॉक्टर काम पर वापस लौट आएं. सुनवाई के दौरान, जब सीजेआई आदेश लिखवा रहे थे तो कपिल सिब्बल ने बताया कि जूनियर डॉक्टरों ने कहा था कि वे काम पर लौटेंगे या नहीं, इस पर वे बाद में विचार करेंगे. इस पर जयसिंह ने दखल देते हुए कहा, “मैं इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए यहां हूं, अगर उनके पास सुनने का धैर्य है.” 

क्या है आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों की मांग? क्यों आ रही अड़चन

जूनियर डॉक्टरों ने हरेक अस्पताल में प्रशासनिक, शिक्षाविदों, नर्सों, डॉक्टरों और दूसरी स्वास्थ्य सेवा के कर्मचारियों वगैरह की एक व्यापक निगरानी समिति के गठन की मांग की. साथ ही स्टूडेंट और डॉक्टरों के लिए अस्पतालों में एक गोपनीय शिकायत निवारण प्रणाली तैयार करना, कानून के अनुसार आंतरिक शिकायत समितियों का गठन, डॉक्टरों द्वारा अपने कर्तव्यों के दौरान सामना किए जाने वाले तनाव से निपटने के लिए योग्य पेशेवरों, विशेष रूप से मनोरोग और मनोविज्ञान विभागों के साथ सभी अस्पतालों में काउंसलिंग सेंटर स्थापित करना जैसी मांगें भी रखी है.

समितियों को लेकर जयसिंह ने सिब्बल से कहा- दिल पर हाथ रखिए

कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा, "मौजूदा समितियां पहले से ही हैं." वहीं, जयसिंह ने तर्क दिया, "अगर ये समितियां बनाई गई होतीं तो यह वारदात नहीं होती. उन्हें इनकार नहीं करना चाहिए, यही हमारी एकमात्र मांग है. हमारी कोई और मांग नहीं है. इससे इनकार मत करिए." सिब्बल ने जवाब दिया, "हम इनकार नहीं कर रहे हैं." जयसिंह ने पूछा, "क्या आप यह बयान दे सकते हैं कि समितियां बनाई गई हैं? क्या आप अपने दिल पर हाथ रखकर कह सकते हैं?" सिब्बल ने जवाब दिया, "हां वे बनाई गई हैं." जयसिंह ने जवाब दिया, "मैं कह रही हूं कि वे बनाई नहीं गई हैं." 

सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलीलें पेश करते हुए जयसिंह ने कहा, "इस कोर्ट ने उम्मीद जताई थी कि जूनियर डॉक्टर 5 सितंबर तक काम पर लौट आएंगे. आज तक कुछ पूर्व शर्तें नहीं दी गई हैं. फिर भी, इस कोर्ट के आदेश की भावना में, हम एक बैठक के लिए सहमत हुए. उनमें से चालीस प्रतिनिधियों ने कल मुख्यमंत्री से मुलाकात की. कल रात एक समझौता हुआ. कुछ मुद्दे हैं जिन्हें मैं उठाना चाहूंगी." 

जूनियर डॉक्टरों के काम पर लौटने को लेकर दोनों में तीखी बहस

जूनियर डॉक्टरों के काम पर लौटने के मुद्दे पर दोनों के बीच फिर से बहस हुई. सिब्बल ने कहा, "जूनियर डॉक्टरों की संख्या 10,000 है और वरिष्ठ डॉक्टरों की संख्या 3,000 है; उनमें से 75 प्रतिशत काम पर नहीं आ रहे हैं." जयसिंह ने पलटवार करते हुए कहा, “मैंने ही यह मुद्दा उठाया था कि समझौता हो गया है. उन्होंने इसकी पहल नहीं की. डॉक्टरों को इस तरह से बदनाम नहीं किया जा सकता.”

'फिर से डॉक्टरों को बदनाम करने की कोशिश कर रहे सिब्बल'

उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट अगली कार्रवाई पर फैसला करने के लिए आम सभा की बैठक करेगा, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि बैठक कब होगी और प्रदर्शनकारी डॉक्टर कब काम पर लौटेंगे. जब सिब्बल ने जूनियर डॉक्टरों की मुख्यमंत्री के साथ बैठक की लाइव स्ट्रीमिंग की मांग उठाने की कोशिश की, तो जयसिंह ने कहा, “हम बैठक से संतुष्ट हैं. यह उचित नहीं है. वह फिर से डॉक्टरों को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं. हम लाइव स्ट्रीमिंग के बिना बैठक में गए थे.”

सुप्रीम कोर्ट में कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग करने पर भी विवाद

संयोग से, इंदिरा जयसिंह उन याचिकाकर्ताओं में से थीं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग को शुरू करने के लिए सहमत किया. मंगलवार को जब सुनवाई शुरू हुई, तो सिब्बल ने आरजी कर मामले की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के खिलाफ तर्क दिया. उन्होंने दावा किया कि राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाली महिला वकीलों को बलात्कार की धमकी दी जा रही है और वकीलों की प्रतिष्ठा को नष्ट किया जा रहा है. हालांकि, सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट में कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग को रोकने से इनकार कर दिया.

काम पर वापस जाने से डरते हैं जूनियर डॉक्टर, तय हो जवाबदेही

जयसिंह ने तीन सदस्यीय बेंच से कहा कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में हुई घटना के लिए प्रशासनिक जवाबदेही तय की जानी चाहिए. उन्होंने कहा, "इसमें पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विश्वविद्यालय अधिनियम, पश्चिम बंगाल चिकित्सा परिषद अधिनियम जैसे कानून शामिल हैं. तीनों वैधानिक निकायों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. उन सभी पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी थी." जयसिंह ने कहा कि जूनियर डॉक्टर काम पर वापस जाने से डरते हैं क्योंकि उनका मानना ​​है कि सांठगांठ में शामिल लोग अभी भी बेलगाम घूम रहे हैं.

इंदिरा जयसिंह ने जूनियर डॉक्टरों की सुरक्षा पर कोर्ट से मांगी मदद

जयसिंह ने बार-बार अदालत से कहा, "सही हो या गलत, वे ऐसा मानते हैं कि वे अभी भी घूम रहे हैं. हमारी रक्षा करें. बस इतना ही. एक डर मनोविकृति है." जब सिब्बल ने सीजेआई को बताया कि मुख्यमंत्री ने खुद आश्वासन दिया है कि काम बंद करने वाले जूनियर डॉक्टरों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी, तो जयसिंह ने पूछा, "हमारे साथ ऐसा करने वालों के खिलाफ क्या दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी?" 

इंदिरा जयसिंह और करुणा नंदी ने की सुरक्षा से जुड़ी ये अहम मांग

इसके बाद जयसिंह और वरिष्ठ डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करने वाली करुणा नंदी ने 1,514 निजी गार्डों के बल को खत्म करने की मांग की, जिन्हें राज्य स्वास्थ्य विभाग ने राज्य द्वारा संचालित स्वास्थ्य सुविधाओं की सुरक्षा के लिए अनुबंध पर काम पर रखने का फैसला किया था. जयसिंह ने कहा, "1,514 बल को खत्म करने की जरूरत है. वे कानून से बाहर हैं और सुरक्षा के हित में उन्हें नियमित पुलिस बल द्वारा प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए. वे एक ऐसा पुलिसिंग कार्य कर रहे हैं जो उन लोगों द्वारा नहीं किया जा सकता है जो पश्चिम बंगाल में पुलिस की भूमिका को पूरा नहीं करते हैं. हम नियमित पुलिस की मांग कर रहे हैं."

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राज्य के हलफनामे की कॉपी को लेकर भी जयसिंह ने सिब्बल को घेरा

इससे पहले जब सिब्बल "विश्वास निर्माण पहल" पर राज्य के हलफनामे को पढ़ रहे थे, तो नंदी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सहित विपक्षी वकीलों ने उन्हें उसकी कॉपीज उपलब्ध कराने के लिए कहा. जयसिंह ने पूछा, "क्या मुझे एक प्रति मिल सकती है? यह जूनियर डॉक्टरों से संबंधित है. मुझे इस मुद्दे पर अदालत अपनी बात रखनी है. मेरे साथ एक कॉपी शेयर करने में क्या दिक्कत है?" सिब्बल ने कहा, "मैं इसे आपको पढ़कर सुना रहा हूं." जयसिंह ने जवाब दिया, "आपको और कॉपीज के साथ कोर्ट में आना चाहिए था." 

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