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Inspiring Story: 80 कॉल, 600 कोल्ड ईमेल और हर जगह रिजेक्ट, फिर भी नहीं हारी हिम्मत, अब वर्ल्ड बैंक में कर रहे नौकरी

Success Story: नाहटा की यह प्रेरक यात्रा 2020 में कोविड -19 महामारी के दौरान शुरू होती है. तब वह यूएस येल विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने वाले थे. उस समय मंदी का दौर चल रहा था और अधिकतर कंपनियां अपने कर्मचारियों को निकालने में लगी हुईं थीं. उसी वक्त डोनाल्ड ट्रम्प ने निकाल दी थी.

वत्सल नाहटा वर्ल्ड बैंक में कर रहे काम
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Updated: Sep 25, 2022, 09:25 AM IST

Motivational Story: अंधेरा कितना भी घना क्यों न हो, उसको मिटाने के लिए एक छोटी से रोशनी ही काफी होती है. आपने कई लोगों के मुंह से ये बातें सुनी होंगी और कई लोगों की जिंदगी में यह चमत्कार होते हुए देखा भी होगा. कठिन समय और असफलता के दौरान अगर धैर्य रखकर अच्छे परिणाम के लिए कोशिश जारी रखी जाए तो एक न एक दिन सफलता जरूर मिलती है, इस बात को एसआरसीसी से ग्रेजुएशन कर चुके वत्सल नाहटा ने सच साबित कर दिखाया है.

वर्ष 2020 में शुरू हुआ संघर्ष

नाहटा की यह प्रेरक यात्रा 2020 में कोविड -19 महामारी के दौरान शुरू होती है. तब वह यूएस येल विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने वाले थे. उस समय मंदी का दौर चल रहा था और अधिकतर कंपनियां अपने कर्मचारियों को निकालने में लगी हुईं थीं. रही सही कसर उस वक्त के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने निकाल दी थी. उनके इमीग्रेशन पर कड़े रुख ने कंपनियों को केवल अमेरिकी नागरिकों को काम पर रखने का दबाव बनाया. नाहटा कहते हैं, ‘मेरे पास नौकरी नहीं थी, जबकि मैं 2 महीने में ग्रेजुएट होने जा रहा था.’

लक्ष्य था कि पहली सैलरी डॉलर में मिले

नाहटा कहते हैं कि ‘वह अंदर ही अंदर सोचते थे कि येल में आने का क्या मतलब था जब उन्हें अमेरिका में नौकरी नहीं मिल सकती. जब मेरे पैरेंट्स मुझे कॉल करते और मुझसे मेरा हालचाल पूछते थे तो मेरे लिए खुद को मजबूत दिखाना बहुत मुश्किल होता था. लेकिन मैंने भी तय कर रखा था कि भारत लौटना कोई विकल्प नहीं होगा. मेरी पहली तनख्वाह केवल डॉलर में होगी.’

हर जगह ना सुनकर काफी बुरा लगता था

नाहटा का दृढ़ संकल्प स्टील जितना मजबूत था. उन दो महीनों में, उन्होंने 1500 से अधिक कनेक्शन रिक्वेस्ट भेजे, 600 कोल्ड ईमेल लिखे और अलग-अलग करीब 80 लोगों को कॉल भी की. नाहटा कहते हैं कि ‘इनमें से हर जगह मनाही ही सुनने को मिली. चीजें हताश और निराश करने वाली थीं. वह इस दौरान यूट्यूब पर 'The Gentle Hum of Anxiety' गाने को सबसे अधिक सुनते थे.’

2 महीने के संघर्ष के बाद एक साथ 4 ऑफर

आखिरकार वत्सल नाहटा की मेहनत और रणनीति मई में रंग लेकर आई. मई के पहले सप्ताह तक उन्हें 4 नौकरियों का ऑफर मिला. उन्होंने विश्व बैंक की जॉब को चुना. उनके हां करने के बाद वीजा आदि की प्रक्रिया आगे बढ़ने लगी. नाहटा अब अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में काम करते हैं. वह कहते हैं, ‘इन 2 महीने की यात्रा ने मुझे जीवन के बारे में बहुत कुछ सीखने का मौका दिया है. जो 4 चीजें मैंने प्रमुख रूप से सीखी हैं वो ये हैं...’

  • इसने मुझे नेटवर्किंग की असली ताकत दिखाई, और यह मेरा दूसरा स्वभाव बन गया.

  • इसने यह विश्वास जगाया कि मैं किसी भी स्थिति में जीवित रह सकता हूं और अमेरिका में एक अप्रवासी के रूप में अपना रास्ता खोज सकता हूं.

  • मेरी Ivy लीग की डिग्री ही मुझे इतना आगे ले जा सकती है.

  • संकट का समय (COVID-19 और ट्रम्प की आव्रजन नीतियां) मेरे लिए अधिक विकसित व्यक्ति के रूप में रूपांतरित होने के लिए आदर्श मौका था.

अब दूसरों को करते हैं प्रेरित

अपने अनुभव को दुनिया के साथ साझा करते हुए नाहटा दूसरे लोगों को भी कभी हार न मानने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं. वह कहते हैं, ‘यदि आप भी कुछ मेरी जैसी स्थिति से गुजर रहे हैं जहां दुनिया गिरते नजर आए तो अपने आप को मजबूत रखें. यदि आप अपनी गलतियों से सीख रहे हैं और यदि आप पर्याप्त दरवाजे खटखटाते हैं तो बेहतर दिन जरूर आएंगे.’

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