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Smoky Pan: क्या है स्मोक वाला पान? खाते ही बच्ची के पेट में हुआ छेद, आफत में आई जान

बड़ों की देखा-देखी जब बच्चे किसी चीज की जिद करते हैं तो अक्सर उसके नतीजे ठीक नहीं होते. ऐसे में अब आपको जिस खबर के बारे में बताते जा रहे हैं, उससे हर मां-बाप को सबक लेने की जरूरत है.

प्रतीकात्मक तस्वीर
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Shwetank Ratnamber|Updated: May 23, 2024, 09:01 AM IST

Bengaluru girl consumes smoky paan: बड़ों की देखा-देखी जब बच्चे किसी चीज की जिद करते हैं तो अक्सर उसके नतीजे ठीक नहीं होते. ऐसे में अब आपको जिस खबर के बारे में बताते जा रहे हैं, उससे हर मां-बाप को सबक लेने की जरूरत है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि आए दिन सोशल मीडिया पर स्मोक वाले पान के वीडियो (Fire Pan) वायरल होते रहते हैं. ऐसे पान में सुपाड़ी, कत्था, गुलकंद, मीठी चटनी और इलायची जैसी चीजों के अलावा लिक्विड नाइट्रोजन का उपयोग किया जाता है, जिससे उस पान में धुआं निकलता है. ये धुंए वाला पान जानलेवा हो सकता है. ऐसे में अगर कोई शौक के नाम पर स्मोकी पान खाना चाहता है तो प्लीज ऐसा करने से पहले सोच समझकर फैसला लीजिए. क्योंकि कुछ मामलों में शौक बड़ी नहीं बल्कि बड़ी खराब चीज हो सकती है.

स्मोकी पान खाने से पेट में छेद

कर्नाटक (Karnataka) के बेंगलुरु से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. राजधानी बेंगलुरु में 'स्मोक पान' खाने से 12 साल की एक लड़की के पेट में छेद होने के कारण उसका ऑपरेशन किया गया. डॉक्टरों का कहना है कि बच्ची की जान बचाने के लिए ये सर्जरी बहुत जरूरी थी. परिजन बच्ची को सही समय पर अस्पताल ले गए. इसके बाद नारायण मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में लड़की का ऑपरेशन किया गया. अस्पताल के मुताबिक, बेंगलुरु के एक शादी समारोह में लड़की ने ‘स्मोक पान’ खाया था. हालांकि अस्पताल प्रशासन ने पीड़ित मरीज की पहचान का खुलासा नहीं किया है. 

कैसे बची जान?

अस्पताल ने एक बयान में कहा कि लड़की के पेट में एक छेद का पता चला था, जिसे आगे की जटिलताओं को रोकने के लिए आपातकालीन शल्य चिकित्सा की आवश्यकता थी. अस्पताल ने कहा कि मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए तत्काल उसकी आधुनिक तकनीक से सर्जरी की गई.

दो दिन रही आईसीयू में भर्ती

किशोरी का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों की टीम के प्रमुख डॉ. विजय एच. एस. ने कहा कि ‘इंट्रा-ऑप ओजीडी स्कोपी’ प्रक्रिया के जरिए सर्जरी की गई. अस्पताल ने कहा सर्जरी के बाद लड़की को दो दिन गहन चिकित्सा कक्ष (ICU) में रखा गया और छह दिन बाद उसे घर जाने दिया गया.

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