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TB पर सामने आई चौंकाने वाली स्टडी, मौत का खतरा 60% तक हो सकता है कम, जानें कैसे

Protein Diet for TB: भारत में प्रभावी चिकित्सा के साथ-साथ हर महीने पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन युक्त आहार के उपयोग से टीबी मरीजों के संपर्क में आने वाले उनके परिवार के सदस्यों के इस रोग की चपेट में आने का खतरा लगभग पचास फीसदी तक कम पाया गया.

TB पर सामने आई चौंकाने वाली स्टडी, मौत का खतरा 60% तक हो सकता है कम, जानें कैसे
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Gunateet Ojha|Updated: Aug 09, 2023, 11:59 PM IST

Protein Diet for TB: भारत में प्रभावी चिकित्सा के साथ-साथ हर महीने पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन युक्त आहार के उपयोग से टीबी मरीजों के संपर्क में आने वाले उनके परिवार के सदस्यों के इस रोग की चपेट में आने का खतरा लगभग पचास फीसदी तक कम पाया गया. पत्रिका 'द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ' में प्रकाशित एक अध्ययन रिपोर्ट में यह बात कही गई है. अंतरराष्ट्रीय अनुसंधानकर्ताओं के एक दल ने अपने अध्ययन में झारखंड के चार जिलों में राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम की 28 टीबी इकाइयों में 2,800 रोगियों के संपर्क में आने वाले उनके परिवार के सदस्यों को शामिल किया.

सभी रोगियों को छह महीने के लिए मासिक रूप से 10 किलोग्राम खाद्य सामग्री (चावल, दाल, दूध पाउडर, तेल) और मल्टीविटामिन प्रदान की गई. अध्ययन में शामिल रोगियों के संपर्क में आने वाले परिवार के सदस्यों (हस्तक्षेप समूह) को प्रति व्यक्ति हर माह पांच किलो चावल और डेढ़ किलो दाल दी गईं. अध्ययन के दौरान क्षय रोग से पीड़ित मरीजों के संपर्क में आए सदस्यों की जांच के बाद सभी लोगों की 31 जुलाई 2022 तक सक्रिय रूप से निगरानी की गई.

इसमें अगस्त 2019 से जनवरी 2021 के बीच मरीजों के संपर्क में आए 10,345 लोगों को दो समूहों में विभाजित किया गया, जिनमें एक समूह (हस्तक्षेप समूह) में शामिल 5,621 लोगों में से 5,328 (94.8 फीसदी) और दूसरे समूह (नियंत्रित समूह) में शामिल 4,724 सदस्यों में से 4,283 (90.7 प्रतिशत) ने प्राथमिक परिणाम मूल्यांकन पूरा किया. अध्ययन में शामिल लगभग दो-तिहाई लोग संथाल, हो, ओरांव और भूमिज जैसे स्थानीय समुदायों से संबंधित थे और लगभग 34 प्रतिशत (10,345 में से 3,543) लोग अल्पपोषण की समस्या से पीड़ित थे.

मंगलवार को लैंसेट में प्रकाशित पोषण संबंधी स्थिति में सुधार द्वारा क्षय रोग की सक्रियता को कम करने संबंधी परीक्षण परिणाम बताते हैं कि फेफड़ों की टीबी वाले रोगी के परिवार के सदस्यों में पोषण में सुधार से सभी प्रकार की टीबी के मामलों में लगभग 40 प्रतिशत की कमी आई और संक्रामक टीबी के मामलों में लगभग 50 प्रतिशत की कमी आई. अध्ययन से पता चला कि शुरुआती दो महीनों में जल्द वजन बढ़ने से टीबी से होने वाली मौत का खतरा 60 प्रतिशत कम हो जाता है.

मंगलुरु के येनेपोया मेडिकल कॉलेज सेंटर फॉर न्यूट्रिशन स्टडीज के अनुसंधानकर्ता अनुराग भार्गव ने बुधवार को ट्वीट किया, 'जीवन बचाने और बेहतर परिणामों के लिए टीबी के इलाज में भोजन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.' उन्होंने कहा, 'प्रभावी चिकित्सा के साथ-साथ पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन युक्त मासिक आहार से संपर्क में आए लोगों के वजन में वृद्धि हुई. अध्ययन में शामिल समूह के लगभग आधे लोगों का बीएमआई 16 से कम था. अन्य समूहों की तुलना में, मृत्यु दर 35-50 प्रतिशत कम थी. पोषण युक्त भोजन से शुरुआती दो महीनों में वजन में वृद्धि मृत्यु दर में 60 प्रतिशत की कमी से जुड़ी थी.'

अध्ययन में गंभीर अल्पपोषण के उच्च प्रसार वाले समूह को पोषण संबंधी सहायता प्रदान की गई. अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि शुरुआती दो महीने में पोषण युक्त आहार से लोगों का वजन बढ़ा और टीबी रोगियों की मृत्यु दर में बहुत कमी आई. टीम में कनाडा के मैकगिल विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय क्षय रोग अनुसंधान संस्थान (चेन्नई), राष्ट्रीय क्षय रोग संस्थान (बेंगलुरु), रांची स्थित राज्य टीबी सेल के अनुसंधानकर्ता और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के अधिकारी भी शामिल थे.

एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की अध्यक्ष और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप के रूप में पोषण के महत्व को रेखांकित किया. स्वामीनाथन ने कहा, 'हमारी आबादी की पोषण स्थिति में सुधार संभावित रूप से टीबी की घटनाओं को कम करने और अगले कुछ वर्षों में टीबी उन्मूलन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है.'

उन्होंने कहा, 'जैसा कि हम नीतिगत कार्रवाइयों के बारे में सोचते हैं, हमें आहार विविधता का विस्तार करने और कुपोषित लोगों को पर्याप्त कैलोरी एवं प्रोटीन प्रदान करने के लिए रणनीतियों का पता लगाने की जरूरत है, जिन्हें सक्रिय टीबी विकसित होने का खतरा अधिक है.'

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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