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Maratha reservation: मराठा आरक्षण के लिए जरांगे ने जलाई जो 'आग', चुनाव से पहले उसमें तपने लगे शरद से लेकर उद्धव-शिंदे तक!

Manoj Jarange Patil: महाराष्ट्र में अक्टूबर में होने वाले चुनाव से ठीक पहले फिर से मराठा आरक्षण की मांग बुलंद हो रही है. इसके लिए मनोज जरांगे के नेतृत्व में बीते कई महीने से आंदोलन चल रहा. जरांगे के इस आंदोलन की आग की तपिश अब चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दल महसूस करने लगे हैं . 

sharad pawar and manoj jarange
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Rahul Vishwakarma|Updated: Aug 12, 2024, 09:42 PM IST

Maharashtra assembly election 2024: विधानसभा चुनाव की आहट लगते ही महाराष्ट्र में फिर से आरक्षण का मुद्दा सुलगने लगा है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने सोमवार को महाराष्ट्र और केंद्र सरकार से मराठा आरक्षण के मुद्दे को सुलझाने की मांग की. उन्होंने कहा कि वह आरक्षण की 50% की सीमा बढ़ाने सहित इस संबंध में केंद्र सरकार की किसी भी पहल का समर्थन करेंगे. इधर, राज्य में बीते काफी समय से मराठा आरक्षण की आवाज बुलंद करने वाले मनोज जरांगे पाटिल ने इन कवायदों को एक हथकंडा करार दिया है. 

शरद पवार ने की सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग

शरद पवार ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मराठा आरक्षण विवाद को सुलझाने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने की अपील की. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा को खत्म करने के लिए काम करना चाहिए. पवार ने कहा कि न्यायपालिका ने देश में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण पर रोक लगा रखी है, लेकिन अगर कोई समस्या है तो सभी राजनीतिक दलों को एक साथ आना चाहिए और केंद्र सरकार से इसे हटाने का आग्रह करना चाहिए. हम इस प्रयास का समर्थन करेंगे. 

मराठा प्रदर्शनकारियों ने घेरा शरद का काफिला 

पवार ने सर्वदलीय बैठक की मांग ऐसे समय में की है जब एक दिन पहले ही उन्हें मराठा प्रदर्शनकारियों के गुस्से का सामना करना पड़ा था. प्रदर्शनकारियों ने सोलापुर जिले में उनकी गाड़ी रोक ली थी और उनसे आरक्षण के मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था. इसके बाद मराठा क्रांति ठोक मोर्चा के नेता रमेश केरे पाटिल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को पुणे में राकांपा (एसपी) प्रमुख से उनके आवास पर मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल ने सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की समुदाय की मांग पर पवार का रुख जानना चाहा. 

जरांगे संग बैठक की नसीहत देने पर घिरे थे

एनसीपी (एसपी) सुप्रीमो का रुख इसके पहले पिछले सप्ताह महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगी, शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी इस प्रकार की मांग की थी. तब महायुति के सहयोगियों ने उन पर पलटवार किया था. मराठा-ओबीसी आरक्षण के लिए जारी संघर्ष को शांत करने के लिए राज्य के सभी राजनीतिक दलों से मिलकर काम करने की अपील करते हुए एनसीपी (एसपी) सुप्रीमो ने कहा कि सीएम को हड़ताली शिवबा संगठन के नेता मनोज जरांगे-पाटिल के साथ बैठक करनी चाहिए. शरद पवार ने कहा कि ओबीसी नेताओं को भी सर्वदलीय बैठक में बुलाया जाना चाहिए. इसमें एमवीए भी शामिल होगा. इस सुझाव पर सीएम शिंदे ने सोमवार को कहा कि वे महाराष्ट्र में राजनीतिक उथल-पुथल मचाने वाले आरक्षण के मुद्दे पर शरद पवार से परामर्श कर रहे हैं.

पवार पाटिल की बैठक एक हथकंडा

केरे पाटिल और पवार के बीच बैठक पर जरांगे ने आरोप लगाया कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और भाजपा के अन्य नेता मराठा समुदाय में दरार डालने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने केरे पाटिल की पवार से मुलाकात को मराठों को बांटने का एक ‘हथकंडा’ करार दिया. पुणे में पत्रकारों से बातचीत में जरांगे ने कहा कि फडणवीस मराठा समुदाय में दरार पैदा करने का सपना देख रहे हैं, हालांकि उनका यह सपना कभी पूरा नहीं होगा. 

जरांगे ने आरोप लगाया कि भाजपा नेता (प्रवीण) दारेकर और फडणवीस आरक्षण के मुद्दे पर मराठों को विभाजित समुदाय के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। केरे पाटिल ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान दावा किया कि पवार ने राकांपा (एसपी) की स्थिति स्पष्ट की और ओबीसी कोटे में छेड़छाड़ किए बिना मराठों को आरक्षण देने का समर्थन किया। उन्होंने कहा, ‘‘पवार साहब ने दावा किया कि यदि मराठा समुदाय को ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण मिलता है तो अन्य समुदायों के लोग निराश होंगे।’’ हालांकि, पवार ने केरे पाटिल के साथ बैठक के दौरान ऐसा कोई बयान देने से इनकार किया। 

क्या हैं जरांगे की मांगें

जरांगे पाटिल ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार वादे के मुताबिक आरक्षण व उनकी अन्य मांगों को पूरा करने में विफल रहती है, तो मराठा न केवल महायुति और एमवीए के उम्मीदवारों को हराने के लिए काम करेंगे, बल्कि वह राज्य की सभी 288 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे और सत्ता में आने का प्रयास करेंगे. जरांगे सभी कुनबी (कृषक) और उनके रक्त संबंधियों को मराठा के रूप में मान्यता देने के लिए ओबीसी प्रमाण पत्र देने की मांग को लेकर जारी आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं.  फरवरी में महाराष्ट्र विधानसभा ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान वाला विधेयक पारित किया था. हालांकि, जरांगे मराठाओं को ओबीसी श्रेणी में शामिल करने पर जोर देते रहे हैं.

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