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Bengaluru Cafe Blast: प्राण प्रतिष्ठा के दिन BJP दफ्तर उड़ाना चाहते थे आतंकी, 4 आरोपियों के खिलाफ NIA की चार्जशीट

NIA Bengaluru Cafe Blast Case: NIA ने कहा, 'आरोपी ताहा और शाज़िब को उनके हैंडलर ने क्रिप्टो करेंसी के जरिए फंडिंग की थी, जिसे ताहा ने अलग-अलग टेलीग्राम बेस्ड पी2पी प्लेटफॉर्म की मदद से फिएट में बदल दिया. जांच में आगे पता चला कि आरोपियों ने बेंगलुरू में हिंसा की विभिन्न गतिवधियों को अंजाम देने के लिए फंड का इस्तेमाल किया था. 

Bengaluru Cafe Blast: प्राण प्रतिष्ठा के दिन BJP दफ्तर उड़ाना चाहते थे आतंकी, 4 आरोपियों के खिलाफ NIA  की चार्जशीट
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Rachit Kumar|Updated: Sep 09, 2024, 05:21 PM IST

Bengaluru Cafe Blast Case: बेंगलुरु के हाई प्रोफाइल रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट मामले में सोमवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने चार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी. एनआईए ने बताया कि जिन आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हुई है, वे हैं- मुसाविर हुसैन शाजिब, अब्दुल मथीन अहमद ताहा, माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ. इन पर भारतीय दंड संहिता, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया है. इन चारों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है और वे फिलहाल मामले में न्यायिक हिरासत में हैं.

क्रिप्टो करेंसी के जरिए फंडिंग

NIA ने कहा, 'आरोपी ताहा और शाज़िब को उनके हैंडलर ने क्रिप्टो करेंसी के जरिए फंडिंग की थी, जिसे ताहा ने अलग-अलग टेलीग्राम बेस्ड पी2पी प्लेटफॉर्म की मदद से फिएट में बदल दिया. जांच में आगे पता चला कि आरोपियों ने बेंगलुरू में हिंसा की विभिन्न गतिवधियों को अंजाम देने के लिए फंड का इस्तेमाल किया था. 

इसमें 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन बेंगलुरु के मल्लेश्वरम में राज्य भाजपा कार्यालय पर एक असफल आईईडी हमला शामिल था, जिसके बाद दोनों प्रमुख आरोपियों ने रामेश्वरम कैफे विस्फोट की योजना बनाई थी. इसी साल 1 मार्च को बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट में 9 लोग घायल हो गए थे और संपत्ति का काफी नुकसान हुआ था. 

3 मार्च को एनआईए ने इस मामले की जांच शुरू की थी.स्थानीय पुलिस और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर कई तकनीकी और जमीनी स्तर पर जांच की गई. जांच में सामने आया कि शाजिब ने बम रथा था. अल-हिंद मॉड्यूल का भंडाफोड़ होने के बाद वह और ताहा साल 2020 से फरार थे. एनआईए ने जब ताबड़तोड़ छापेमारी की तब रामेश्वर कैफे ब्लास्ट के 42 दिन बाद उनको बंगाल से गिरफ्तार किया गया. 

युवाओं को बरगलाकर बनाते थे कट्टरपंथी

ये दोनों ही आरोपी कर्नाटक के शिवमोगा के रहने वाले हैं और आतंकी संगठन आईएसआईएस के कट्टरपंथी हैं. युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और आईएसआईएस की विचारधारा फैलाने में भी ये शामिल रहे हैं. माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ ऐसे ही युवा हैं. 

ताहा और शाजिब ने किसी तरह भारतीय सिम कार्ड और बैंक अकाउंट हासिल कर लिया. इतना ही नहीं डार्क वेब से विभिन्न भारतीय और बांग्लादेशी दस्तावेज भी उन्होंने डाउनलोड कर लिए थे. जांच में सामने आया कि ताहा को शाहिद फैसल से शोएब अहमद मिर्जा ने मिलवाया था. शाहिद फैसल लश्कर के बेंगलुरु साजिश मामले में फरार है. इसके बाद ताहा ने फैसल को अपने हैंडलर महबूब पाशा और खाजा मोहिद्दीन से मिलवाया. पाशा अल-हिंद मॉड्यूल मामले में आरोपी है. जबकि खाजा मोहिद्दीन आईएसआईएस साउथ इंडिया का आमिर है. बाद में माज मुनीर अहमद की भी इन लोगों से मुलाकात हुई.   

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