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टोंक नगर परिषद में सफाईकर्मियों की हड़ताल में जातिगत दंश की सियासत !

Tonk: वाल्मीकि समाज के लोगों ने गैर वाल्मीकि समाज के सफाईकर्मियों के लिए जातिगत आधार पर अलग जोन बनाने और उस जोन में उन्हीं लोगों से सफाई कार्य करवाने पर अड़ंगा लगा दिया और करीब दो घंटे चली सुलह समझाइश की वार्ता बैठक बेनतीजा रही.

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टोंक नगर परिषद में सफाईकर्मियों की हड़ताल में जातिगत दंश की सियासत !
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Purushottam Joshi|Updated: May 22, 2023, 11:22 AM IST

Tonk News: राजस्थान के सभी जिलों में पिछले दिनों ही सफाईकर्मियों की हड़ताल खत्म हो चुकी और सभी लोग काम पर लौट आए. लेकिन टोंक शहर में सफाईकर्मियों के राजनीतिक संगठनों की ऐसी मनमानी है कि एक बार फिर पिछले तीन दिनों से सफाईकर्मी सामूहिक बहिष्कार पर है. हालांकि गैर वाल्मीकि समाज के सफाईकर्मी लगातार काम कर रहे हैं.

आज फिर से नगर परिषद आयुक्त धर्मपाल चौधरी ने शहर के भाजपा और कांग्रेसी पार्षदों की एक कमेटी के साथ सफाईकर्मियों के संगठन पदाधिकारियों से वार्ता कर सुलह का प्रयास किया, लेकिन वाल्मीकि समाज के लोगों ने गैर वाल्मीकि समाज के सफाईकर्मियों के लिए जातिगत आधार पर अलग जोन बनाने और उस जोन में उन्हीं लोगों से सफाई कार्य करवाने पर अड़ंगा लगा दिया और करीब दो घंटे चली सुलह समझाइश की वार्ता बैठक बेनतीजा रही.

एक ओर एससी वर्ग के लोग छुआछूत और जातिगत भेदभाव को लेकर संविधान निर्माता बाबा भीमराव अम्बेडकर के संविधान का हवाला देकर दलितों को प्रताड़ित और जातिगत भेदभाव करने का आए दिन आरोप लगाते हैं लेकिन आज टोंक नगर परिषद के अग्निशमन केंद्र के सभागार में आयुक्त धर्मपाल चौधरी, कार्यवाहक एसडीएम,टोंक सिटी सीओ सलेह मोहम्मद,कांग्रेसी पार्षद सुनिल बंसल,रामदेव गुर्जर,भाजपा के पूर्व सभापति और पार्षद गणेश माहुर सहित कई पार्षदों की कमेटी के साथ जब सफाईकर्मियों के संगठन पदाधिकारियों से सुलह समझाइश चल रही थी तो वाल्मीकि समाज के लोगों ने गैर वाल्मीकि समाज के सफाईकर्मियों को जातिगत आधार पर अलग से जोन आवंटित करने और उसी जोन में सफाई कार्य करवाने की मांग पर अड़ गए और कहा कि जब तक नगर परिषद अधिकारी हमारी इस मांग को पूरा नहीं करेंगे तब तक वह काम पर नहीं लौटेंगे.

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ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर क्या संविधान के मौलिक अधिकार सिर्फ दलित जाति के लोगों के लिए ही है. आखिर क्यों जब सामान्य या एसटी और ओबीसी वर्ग के लोग इनके साथ मिलकर सफ़ाई कार्य करने को तैयार हैं तो क्यों इनकी उपेक्षा की जा रही है. क्या ऐसे में जातिगत टकराव या सामाजिक टकराव को वाल्मीकि समाज के लोग बढ़ावा नहीं दे रहे हैं. क्यों ऐसे लोगों के खिलाफ नगर परिषद सख्ती से कार्रवाई नहीं कर रही है. क्यों बेवजह पिछले तीन दिनों से शहर को गंदगी के ढेर पर खड़ा कर दिया. क्यों आम शहरवासियों से मोटा टैक्स वसूलने के बाद भी नगर परिषद उनकों पूरी सुविधाएं नहीं दे पा रही है. आखिर क्या मजबूरी है जो ऐसे मनमाने सफाईकर्मियों पर नगर परिषद कार्रवाई नहीं कर रही है.

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