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रोडवेज डिपो में घोटाले ने पकड़ा तूल, 87 कंडेक्टर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज

राजसमंद रोडवेज डिपो में करीब 23 लाख रुपए के गबन के मामले में एक और एफआईआर राजसमंद के राजनगर थाने में दर्ज हुई है. इसमें रुपए जमा नहीं कराने के आरोप में तत्कालीन लगभग 87 कंडेक्टर्स के खिलाफ जांच शुरू हो चुकी है.

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रोडवेज डिपो में घोटाले ने पकड़ा तूल, 87 कंडेक्टर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज
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Devendra Sharma|Updated: Nov 15, 2022, 08:05 PM IST

Rajsamand: राजसमंद रोडवेज डिपो में वर्ष 2013 से 2017 के बीच राशि के गबन के मामले ने एक बार फिर से तूल पकड़ लिया है. बता दें कि उस दौरान कंडेक्टर्स  द्वारा केशियर को प्रतिदिन हिसाब का पैसा दिया जाता था लेकिन वह पैसा रोडवेज विभाग में जमा नहीं हुआ. कंडेक्टर्स द्वारा पैसा तो ​केशियर को दिया जाता था ले​किन उसके बदले वह उसकी रसीद उन्हें नहीं मिलती थी. ऐसे में जब ऑडिट हुई तो उसमें लगभग 23 लाख रुपए से ज्यादा का घोटाला सामने आया.

इस पर उस दौरान मुकदमा दर्ज हुआ और करीब चार साल तक जांच चली और कुल 7 लोगों को इस मामले में सजा हुई. जिसमें 5 केशियर और 2 अकाउंटेंट शामिल थे. अब एक बार फिर वर्ष 2022 में जयपुर रोडवेज मुख्यालय के आदेश पर राजसमंद रोडवेज डिपो के मुख्य प्रबंधक हरदीप सिंह ने कोर्ट के इस्तगासे से राजसमंद के राजनगर थाने में कुल 87 कंडेक्टर्स के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया है और अब राजनगर थाना पुलिस द्वारा इस मामले की जांच की जा रही है. 

बता दें कि राजसमंद रोडवेज डिपो में करीब 23 लाख रुपए के गबन के मामले में एक और एफआईआर राजसमंद के राजनगर थाने में दर्ज हुई है. इसमें रुपए जमा नहीं कराने के आरोप में तत्कालीन लगभग 87 कंडेक्टर्स के खिलाफ जांच शुरू हो चुकी है. कभी भी इनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. इस मामले को लेकर जयपुर रोडवेज मुख्यालय के आदेश पर राजसमंद रोडवेज शाखा के प्रबधंक हरदीप सिंह ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में इस्तगासा पेश किया था.

इसी इस्तगासे के आधार पर पर राजनगर पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया है. एफआईआर में कुल 87 कंडक्टरों पर गबन का आरोप लगाया गया है. परिचालक व चालक विभिन्न मार्गों पर बसें लेकर जाते हैं जिनसे एकत्र यात्रा शुल्क गाड़ी के पुन: लौटने पर कैशियर के पास जमा कराकर रसीद प्राप्त करनी होती है. जानकारी के अनुसार राजसमंद डिपो में अप्रेल 2013 से 2017 तक की राशि परिचालकों को निगम कोष में जमा करानी थी लेकिन जमा नहीं कराई गई.

कोई भी परिचालक राशि जमा कराता है तो उनको अगले दिन उसे मार्ग पर जाने से पूर्व शाखा से एटीम बेग व वे-बिल प्राप्त करना होता है. पुन: लौटने पर यह सामग्री कलेक्शन व कैश को कैशियर के पास जमा करा रसीद लेनी होती है, लेकिन परिचालकों ने इस अवधि में पैसा जमा नहीं करवाकर मिलीभगत से धांधली का अरोप है. इस घांधली का पर्दाफाश ऑडिट के जरिए हुआ था, जिसमें पता चला कि लगभग 23 लाख रूपए से ज्यादा की गड़बड़ी सामने आई है.

वहीं राजनगर थाने में मामला दर्ज होने के बाद थानाधिकारी डॉ. हनवंत सिंह राजपुरोहित से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि राजसमंद डिपो के मुख्य प्रबंधक हरदीप सिंह ने कुल 87 परिचालकों के खिलाफ इस्तगासे के माध्यम से थाने में एफआईआर दर्ज करवाई है. जिसमें इन परिचालकों पर रोडवेज की राशि गबन करने का आरोप लगाया गया है. फिलहाल अभी इस मामले की जांच की जा रही है.

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