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राजसमंद के इस गांव की देश-विदेश में चर्चा,25 सालों में लगभग 10 हजार बच्चों को बनाया वेदपाठी

Rajsamand News:राजसमंद जिले के कसार गांव में सनातन वैदिक शिक्षण द्वारा बच्चों में वैदिक संस्कार का उजास खिला रहा है. बता दें कि हर साल गर्मी की छुट्टियों में यहां पर लगभग 25 साल से शिविर लग रहे हैं.

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Devendra Sharma|Updated: Jun 10, 2024, 10:32 AM IST

Rajsamand News:राजसमंद जिले के कसार गांव में सनातन वैदिक शिक्षण द्वारा बच्चों में वैदिक संस्कार का उजास खिला रहा है. बता दें कि हर साल गर्मी की छुट्टियों में यहां पर लगभग 25 साल से शिविर लग रहे हैं. इनमें अब तक लगभग दस हजार से ज्यादा बटुकों को वैदिक ज्ञान प्राप्त कराया जा चुका है. शिविर में इस वर्ष 520 बटुक मंत्र जाप सीख रहे हैं. यहां पर रहने खाने -पीने की सारी व्यवस्थाएं निशुल्क हैं. 

तीन-चार साल पहले से आए हुए बच्चे फराटे से मंत्र पाठ बोल रहे हैं, जिसे देखकर बड़े पंडित अचरज में पड़ जाते हैं. बच्चों को संस्कार सीखने की जागरूकता देख साल 2008 में उस वक्त सीएम रहीं वसुंधरा राजे ने कसार गांव में वैदिक गुरुकुल खोलने के लिए दस बीघा जमीन दी थी. लेकिन अभी तक भवन का निर्माण नहीं हो सका हैं. 

शरीर पर जनेऊ ,कंधे पर अंगोछा, कमर पर धोती बांधे,12 साल से 25 साल के प्रदेश भर के बटुक यहां वैदिक संस्कार , मंत्र, श्लोक सीख रहे हैं. गांव के एक सरकारी स्कूल में चल रहे शिविर में दैनिक दिनचर्या में सुबह 5 बजे जागरण, 6:30 बजे से संध्या वंदन, 8 बजे अल्पाहार 8:30 प्रथम शिक्षण सत्र जिसमें संध्या वंदन, देवता नमस्कार, भद्र सुक्तम, रूद्र सुक्तम ,रुद्राष्टाध्याई आदि सिखाया जाता हैं. तो वहीं 11:30 बजे से भोजन अवकाश, 3 बजे से द्वितीय शिक्षण सत्र जिसमें दुर्गा सप्तशती, पौराणिक मंत्र, पंचांग ज्ञान, प्रारंभिक ज्योतिष ज्ञान ,श्रीमद् भागवत गीता पारायण आदि कराए जाते हैं. 5:30 बजे कीड़ा,व्यायाम, 7 बजे सायं भोजन, 8:30 दिन भर क्या सीखा इसका वाचन करवाया जाता है.

10 बजे रात्रि विश्राम का समय होता है. इनके तजुर्बे व अनुभव के आधार पर उनकी अलग-अलग कक्षाएं लगाई जाती हैं किसी को अलग-अलग स्रोत्रों का वाचन करवाया जाता है. बता दें कि इस संस्कार शिविर में गुजरात , महाराष्ट्र, दिल्ली ,उत्तर प्रदेश ,मध्य प्रदेश, राजस्थान के लगभग 20 जिलों के बटुकों ने भाग लिया है. 

पूर्व सीएम मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपने कार्यकाल में यहां पर दो बार आ चुकी हैं. तो वहीं वर्तमान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ,गुलाबचंद कटारिया, अरुण चतुर्वेदी, बीडी कल्ला,सीपी जोशी , सुरेंद्रसिंह राठौड़, दिप्ती माहेश्वरी भी आ चुकी हैं. इनके अलावा कई मंत्री , सांसद विधायक और अधिकारी भी शिविर का अवलोकन कर चुके हैं. शिविर संयोजक पंडित उमेश द्विवेदी से बात कि गई तो उन्होंने बताया सरकार से मिली जमीन वेद विद्यालय बनाई जाएगी. 

उसमें सालभर वेद परायण करवाया जाएगा. बटुकों को साथ में ले जाकर उनको सिखाया जाता है. कर्मकांड कैसे करना है,कैसे पूजा करवानी है ,कैसे हवन करवाना है सब सिखाया जाता है, यज्ञ कैसे होते हैं सब सिखाया जाता है. 

संस्कार विहीन होती पीढ़ी को फिर से संस्कार देने का कदम उठाया है. संस्कार विहीन होते देखकर पंडित उमेश द्विवेदी ने कसार गांव में वर्ष 2000 में सनातन वैदिक शिक्षण संस्थान कसार की स्थापना की थी. संस्थान में सीखे हुए बटुक ही बच्चों वैद का ज्ञान करवाते हैं.

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